संपत्ति खरीदने के लिए लोग अपनी मेहनत की कमाई, जमा पूंजी सब कुछ लगा देते हैं। संपत्ति खरीदने के दौरान कई बार विक्रेता या खरीददार एक दूसरे के लिए समस्या खड़ी कर देते हैं, जिसके कारण विवाद खड़ा हो जाता है।
संपत्ति खरीदने के लिए लोग अपनी मेहनत की कमाई, जमा पूंजी सब कुछ लगा देते हैं। संपत्ति खरीदने के दौरान कई बार विक्रेता या खरीददार एक दूसरे के लिए समस्या खड़ी कर देते हैं, जिसके कारण विवाद खड़ा हो जाता है। यदि प्रॉपर्टी बिक्री की सभी औपचारिकता पूरी करने के बाद भी विक्रेता को तय पूरी राशि नहीं मिलती या बिक्री के बदले मिले चेक बैंक से अनादरित हो जाते हैं तो विक्रेता कानूनी कार्रवाई कर सकता है। वह खरीदार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 406, 467, 468 और 471 में संबंधित पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवा सकता है। वह संबंधित पुलिस अधीक्षक या डीसीपी को शिकायत देने के साथ ही न्यायालय में परिवाद दाखिल कर सकता है। भुगतान नहीं होने पर वह थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करवा सकता है।
भुगतान नहीं मिलने पर बिक्रेता के पास रजिस्ट्री को रद्द करवाने का भी अधिकार है। साथ ही यहां यह भी ध्यान रखना चाहिए कि सेल डीड में जमीन की पूरी प्रतिफल राशि और उसके बदले में प्राप्त किए गए चैक का नंबर जरूर लिखा होना चाहिए ताकि साक्ष्य के तौर पर कोर्ट में पेश किया जा सके।