हम जब हम उत्पाद खरीदते हैं तो विक्रेता हमें गारंटी या वारंटी देता है। देखने व सुनने में हमको दोनों एक जैसा होने का आभास होता है जबकि कानूनी तौर पर दोनों के मायने बिल्कुल अलग होते हैं। गारंटी मौखिक या लिखित हो सकती हैै। गारंटी निर्माता द्वारा किया गया वादा है, जिसमें वस्तु में किसी भी तरह की खामी होने पर उसको बदलना शामिल होता है। यानी वस्तु के खराब निकलने पर उसे बदला जाता है या फिर पैसा वापस ले लिया जाता है।
हम जब हम उत्पाद खरीदते हैं तो विक्रेता हमें गारंटी या वारंटी देता है। देखने व सुनने में हमको दोनों एक जैसा होने का आभास होता है जबकि कानूनी तौर पर दोनों के मायने बिल्कुल अलग होते हैं। गारंटी मौखिक या लिखित हो सकती हैै।
गारंटी निर्माता द्वारा किया गया वादा है, जिसमें वस्तु में किसी भी तरह की खामी होने पर उसको बदलना शामिल होता है। यानी वस्तु के खराब निकलने पर उसे बदला जाता है या फिर पैसा वापस ले लिया जाता है।
दूसरी ओर, वारंटी एक लिखित आश्वासन है, जिसमें केवल उत्पाद को कवर किया जाता है यानी एक निश्चित समयावधि के भीतर सामान्य परिस्थितियों में दोषपूर्ण उत्पाद की मरम्मत या प्रतिस्थापन का वादा करती है। इसका उद्देश्य आपको यह आश्वासन देना है कि उनकी कंपनी सामान्य परिस्थितियों में भी भागों या उत्पादों की मरम्मत करने के लिए तैयार हैै।
ऐसे में आप समझ सकते हैं कि गारंटी का महत्त्व अधिक होता है क्योंकि वह लिखित होती है, पूर्ण धनवापसी का अवसर प्रदान करती है। ऐसे में यदि आप कोई उत्पाद या सेवा लेने जा रहे हैं तो उस पर सेवा देने वाला गारंटी दे रहा है या वारंटी इस पर जरूर ध्यान दें।
विकास सोमानी, एडवोकेट