श्रम मंत्रालय के एक बयान के अनुसार आंशिक निकासी के लिए 13 कठिन नियमों को समाप्त कर तीन कैटेगरी में पार्शियल विड्रॉल के नियम बनाए हैं।
दिवाली से पहले EPFO के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज ने सोमवार को अपनी बैठक में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए, जिसमें निकासी प्रावधानों को सरल बनाना, मुकदमेबाजी को कम करने के लिए विश्वास योजना की शुरुआत और ईपीएफओ 3.0 के तहत एक डिजिटल परिवर्तन योजना शामिल है। यह बैठक केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया की अध्यक्षता में हुई।
श्रम मंत्रालय के एक बयान के अनुसार आंशिक निकासी के लिए 13 कठिन नियमों को समाप्त कर तीन कैटेगरी में पार्शियल विड्रॉल के नियम बनाए हैं। जिसमें आवश्यक आवश्यकताएं (बीमारी, शिक्षा, विवाह), आवास आवश्यकताएं और विशेष परिस्थितियां शामिल हैं। अब सदस्य PF खाते में मौजूद अपने पूरे पैसे निकाल सकते हैं, जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का अंशदान शामिल है।
बता दें कि अब शिक्षा के लिए 10 गुना और विवाह के लिए 5 गुना तक निकासी की अनुमति मिल गई है, जबकि पहले यह सीमा तीन आंशिक निकासी की थी। इसके अलावा सभी प्रकार की निकासी के लिए न्यूनतम सेवा आवश्यकता को समान रूप से घटाकर 12 महीने कर दिया गया है।
विशेष परिस्थितियों में पैसे निकासी के लिए कारण नहीं बताना पड़ेगा। दरअसल, पहले निकासी के लिए कारण बताना पड़ता था, लेकिन अब इस झंझट से छुटकारा मिल गया है।
वहीं EPFO के नए प्रावधान के तहत सदस्यों को अपने खाते में कुल योगदान का कम से कम 25 प्रतिशत बैलेंस रखना होगा। इससे सदस्यों को ईपीएफओ की 8.25% प्रति वर्ष की उच्च ब्याज दर और कंपाउंडिंग का फायदा मिलता रहेगा।
सीबीटी ने पीएफ भुगतान में देरी पर दंडात्मक हर्जाने से संबंधित लंबे समय से लंबित मुकदमों के समाधान के लिए विश्वास योजना को भी मंजूरी दी। मई 2025 तक, 2,406 करोड़ रुपये का दंडात्मक हर्जाना बकाया था और सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों सहित विभिन्न मंचों पर 6,000 से अधिक मामले लंबित थे। इस योजना के तहत अब देरी से PF जमा करने पर जुर्माने की दर को कम कर 1% प्रति माह कर दिया गया है। दो महीने तक की देरी पर 0.25 प्रतिशत और चार महीने तक 0.50 प्रतिशत का जुर्माना लगेगा। यह योजना छह महीने तक लागू रहेगी, जिसे छह महीने और बढ़ाया जा सकता है।