Inflation Calculator: जैसे-जैसे समय बीतता है, पैसों की बाइंग कैपेसिटी कम होती जाती है। ऐसा महंगाई के चलते होता है। निवेश में हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
एक प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले रोहित का 10 साल पहले एक सपना था। वे चाहते थे कि उनकी सैलरी 50,000 रुपये महीना हो जाए, तो फिर उन्हें जीवन में किसी और चीज की जरूरत नहीं होगी। आज रोहित की सैलरी 1 लाख रुपये महीना है, फिर भी वे पैसों की तंगी से जूझते रहते हैं। रोहित जैसे करोड़ों ऐसे लोग हैं, जिनके साथ भी ऐसा हो रहा है। इसका कारण है समय के साथ पैसों की बाइंग कैपेसिटी कम होते जाना। आज के 20 साल पहले 1500 रुपये में एक परिवार के लिए महीने भर का राशन आ जाता था। वहीं, आज महीनेभर के राशन के लिए 15,000 रुपये भी कम पड़ जाते हैं।
समय के साथ पैसों की बाइंग कैपेसिटी कम होती जाती है। ऐसा महंगाई के चलते होता है। पिछले दो दशकों से भारत में औसत महंगाई दर 6 फीसदी रही है। महंगाई बढ़ने से उत्पादों और सेवाओं की कीमतों में इजाफा हो रहा है। ऐसे में इन्हें खरीदने के लिए अधिक पैसों की जरूरत पड़ती है।
अगर आपको आज कोई सामान या सर्विस खरीदने के लिए 1 लाख रुपये की जरूरत पड़ती है, तो 20 साल बाद उसी सामान या सर्विस को खरीदने के लिए 3,20,714 रुपये की जरूरत पड़ेगी। यहां हमने महंगाई दर 6 फीसदी ली है। अगर हम 30 साल बाद की बात करें, तो आज जो सामान 1 लाख रुपये में मिलता है, वह 30 साल बाद 5,74,349 रुपये में मिलेगा।
अक्सर लोग इन्वेस्टमेंट करते समय या रिटायरमेंट प्लानिंग में महंगाई का ध्यान रखना भूल जाते हैं। यह बहुत भारी पड़ सकता है। अगर आपका निवेश आपको महंगाई दर से कम रिटर्न दे रहा है, तो समय के साथ आपके निवेश की वैल्यू बढ़ने की बजाय कम होती चली जाएगी। आपके निवेश का रिटर्न महंगाई को मात देने वाला होना चाहिए। यानी आपको निवेश पर मिलने वाला रिटर्न महंगाई दर से अधिक हो।