Infosys shares Fall: भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी, इंफोसिस के शेयरों में शुक्रवार, 17 जनवरी को 5% तक की भारी गिरावट दर्ज की गई है। आइए जानते है पूरी खबर।
Infosys shares Fall: भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी, इंफोसिस के शेयरों में शुक्रवार, 17 जनवरी को 5% तक की भारी गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट कंपनी के तिमाही नतीजों के बाद आई, जिसने निवेशकों को निराश किया है। शेयर बाजार में इंफोसिस के शेयर ₹1,832 के दिन के निचले स्तर पर पहुंच गए है।
इंफोसिस (Infosys shares Fall) ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (Q3) में 11% साल-दर-साल (YoY) की बढ़ोतरी के साथ ₹6,806 करोड़ का कंसोलिडेटेड शुद्ध मुनाफा दर्ज किया। हालांकि, यह आंकड़ा निवेशकों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। कंपनी की ऑपरेशनल आय 8% बढ़कर ₹41,764 करोड़ हो गई। इसके अलावा, कंपनी ने अपने राजस्व पूर्वानुमान को सुधारते हुए 4.5%-5% तक बढ़ाया है। हालांकि, यह वृद्धि बाजार विश्लेषकों की अपेक्षाओं से कम रही।
तिमाही नतीजों (Infosys shares Fall) में दिखी कमजोरी और कंपनी द्वारा दिया गया अपेक्षाकृत कम राजस्व अनुमान निवेशकों की चिंता का मुख्य कारण बना।
वेतन वृद्धि पर अनिश्चितता: इंफोसिस ने तिमाही के दौरान अपने कर्मचारियों के वेतन में सुधार को लेकर कोई ठोस दिशा नहीं दी। आईटी सेक्टर में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और टैलेंट रिटेंशन के दबाव के बावजूद कंपनी की यह रणनीति निवेशकों को चिंता में डाल रही है।
डिमांड में सुस्ती: वैश्विक मंदी के चलते आईटी सर्विस सेक्टर में सुस्ती देखी जा रही है। यह ट्रेंड इंफोसिस की नतीजों में भी परिलक्षित हुआ।
तिमाही नतीजों के बाद शेयर बाजार में इंफोसिस (Infosys shares Fall) के प्रति धारणा कमजोर हुई। जहां एक ओर निवेशकों ने निराशा व्यक्त की, वहीं विश्लेषकों की राय भी इस मामले में बंटी हुई है।
मिश्रित रेटिंग्स: कुछ विश्लेषकों ने इंफोसिस के शेयरों पर 'बाय' की सिफारिश दी है, जबकि अन्य ने सतर्क दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी। उनका मानना है कि कंपनी की भविष्य की ग्रोथ और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर निर्भरता को ध्यान में रखते हुए निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए।
FII की भूमिका: विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने हाल ही में आईटी शेयरों में अपनी होल्डिंग्स घटाई है, जिसका असर इंफोसिस पर भी पड़ा है।
इंफोसिस (Infosys shares Fall) के सामने कई चुनौतियां हैं जो इसके प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती हैं
वैश्विक मंदी का प्रभाव: अमेरिका और यूरोप जैसे प्रमुख बाजारों में आर्थिक सुस्ती से आईटी सेक्टर की मांग प्रभावित हो सकती है। टीसीएस, विप्रो और एचसीएल जैसी कंपनियों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच इंफोसिस को अपनी मार्केट पोजिशन बनाए रखने के लिए अधिक नवाचार की जरूरत होगी।
टैलेंट मैनेजमेंट: कर्मचारियों की छंटनी और वेतन वृद्धि में देरी से कंपनी को टैलेंट रिटेंशन में मुश्किल हो सकती है।