कारोबार

ITR filing 2025: टैक्स फाइलिंग के नियमों में बड़ा बदलाव, फाइल करने से पहले जानें डिटेल्स

ITR Filing Rules: ITR के नियमों में कुछ बदलाव किए गए हैं, टैक्सपेयर्स के लिए इन नए नियमों को समझना जरूरी है ताकि रिटर्न फाइलिंग आसान और सटीक हो सके।

3 min read
May 20, 2025
टैक्स फाइलिंग के नियमों में बदलाव (प्रतीकात्मक फोटो)

Income Tax Return: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइलिंग के लिए वित्त वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के नियमों में कई अहम बदलाव किए गए हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने सभी सात ITR फॉर्म्स (ITR-1 से ITR-7) को अधिसूचित कर दिया है, जिनमें बजट 2024 और फाइनेंस एक्ट 2025 के प्रावधानों को शामिल किया गया है। टैक्सपेयर्स के लिए इन नए नियमों को समझना जरूरी है ताकि रिटर्न फाइलिंग आसान और सटीक हो सके।

ITR-U फॉर्म में बदलाव और समय सीमा में वृद्धि

> इनकम टैक्स विभाग ने ITR-U (अपडेटेड इनकम टैक्स रिटर्न) फॉर्म में बड़े बदलाव किए हैं। अब टैक्सपेयर्स पिछले रिटर्न्स में त्रुटियों को सुधारने के लिए 48 महीने तक का समय ले सकते हैं, जो पहले कम था।

> अगर तीसरे साल में ITR-U फाइल किया जाता है, तो 60% अतिरिक्त टैक्स देना होगा, और चौथे साल में यह दर और बढ़ सकती है।

> यह बदलाव उन लोगों के लिए राहत भरा है जो पुराने रिटर्न्स में गलतियां सुधारना चाहते हैं।

कैपिटल गेन्स टैक्स नियमों में बदलाव

> लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) पर टैक्स की दर को 10% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया गया है, और इसमें इंडेक्सेशन का लाभ हटा दिया गया है।

> शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) पर टैक्स दर अब 20% होगी।

> जिन टैक्सपेयर्स का LTCG ₹1.25 लाख तक है, वे अब ITR-1 या ITR-4 फॉर्म का उपयोग कर सकते हैं, जो पहले ITR-2 या ITR-3 भरने पड़ते थे। यह छोटे निवेशकों के लिए फाइलिंग को आसान बनाता है।

> रियल एस्टेट पर LTCG के लिए, 23 जुलाई 2024 से पहले खरीदी गई प्रॉपर्टी के लिए टैक्सपेयर्स 12.5% बिना इंडेक्सेशन या 20% इंडेक्सेशन के साथ टैक्स चुन सकते हैं।

ITR फॉर्म्स में नए प्रावधान

> ITR-1 (सहज): ₹50 लाख तक की आय वाले रेजिडेंट इंडिविजुअल्स (वेतन, एक मकान, ब्याज, और ₹5,000 तक की कृषि आय) के लिए लागू। अब इसमें ₹1.25 लाख तक का LTCG भी शामिल किया जा सकता है।

> ITR-4 (सुगम): छोटे बिजनेस और प्रोफेशनल्स (LLP को छोड़कर) के लिए, जिनकी आय ₹50 लाख तक है। इसमें भी LTCG की नई सीमा लागू।

> ITR-2 और ITR-3: वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (जैसे क्रिप्टोकरेंसी और NFT) की आय के लिए नया शेड्यूल VDA जोड़ा गया है।

> साथ ही, सेक्शन 80DD (डिपेंडेंट्स के लिए डिसएबिलिटी) और 80U (स्वयं की डिसएबिलिटी) के तहत डिडक्शन के लिए डिसएबिलिटी सर्टिफिकेट का एकनॉलेजमेंट नंबर देना होगा।

> ITR-6 और ITR-7: कंपनियों और ट्रस्ट्स के लिए नए कैपिटल गेन्स और बायबैक लॉस नियम लागू। ITR-7 में हाउस प्रॉपर्टी लोन के ब्याज पर डिडक्शन के लिए नए फील्ड्स जोड़े गए।

आधार एनरोलमेंट ID हटाया गया

अब ITR-1, ITR-2, ITR-3, और ITR-5 में आधार एनरोलमेंट ID के बजाय वैलिड आधार नंबर देना अनिवार्य है।
यह बदलाव टैक्स फाइलिंग में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए किया गया है।

डिजिटल फॉर्म 16: आसान और सटीक फाइलिंग

> डिजिटल फॉर्म 16 को TRACES पोर्टल से डायरेक्ट जेनरेट किया जा सकता है, जिसमें वेतन, TDS, और टैक्स-सेविंग डिडक्शन्स की सटीक जानकारी होती है।

> इसे टैक्स फाइलिंग वेबसाइट्स पर अपलोड करने से डिटेल्स ऑटोमैटिकली भर जाती हैं, जिससे फाइलिंग आसान और त्रुटि-मुक्त होती है।

    महत्वपूर्ण डेडलाइंस

    31 जुलाई 2025: ज्यादातर इंडिविजुअल्स, HUF, और छोटे बिजनेस (जिनका ऑडिट जरूरी नहीं) के लिए ITR फाइल करने की आखिरी तारीख।

    31 अक्टूबर 2025: ऑडिट की जरूरत वाले बिजनेस के लिए डेडलाइन।

    30 नवंबर 2025: ट्रांसफर प्राइसिंग रिपोर्ट वाले टैक्सपेयर्स के लिए।

    31 दिसंबर 2025: बेलेटेड या रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख।

    अगर आय ₹5 लाख से ज्यादा है और 31 दिसंबर 2025 से पहले ITR फाइल किया जाता है, तो ₹5,000 का जुर्माना लगेगा।

    अन्य महत्वपूर्ण बदलाव

    शेड्यूल AL: ITR-3 में एसेट्स और लायबिलिटीज की रिपोर्टिंग की सीमा ₹50 लाख से बढ़ाकर ₹1 करोड़ की गई है, जिससे मध्यम आय वाले टैक्सपेयर्स पर बोझ कम होगा।

    शेयर बायबैक नियम: 1 अक्टूबर 2024 से शेयर बायबैक से होने वाली आय को डिविडेंड माना जाएगा और इसे टैक्सेबल इनकम में शामिल करना होगा।

    HRA और डिडक्शन्स: हाउस रेंट अलाउंस (HRA) और अन्य डिडक्शन्स की डिटेल्स में अधिक जानकारी देनी होगी।

    टैक्सपेयर्स के लिए सलाह

    जल्दी फाइल करें: सैलरीड टैक्सपेयर्स को फॉर्म 16 मिलने के बाद (मध्य जून तक) तुरंत ITR फाइल करना चाहिए ताकि आखिरी समय की हड़बड़ी से बचा जा सके।

    सही फॉर्म चुनें: अपनी आय के स्रोत और राशि के आधार पर सही ITR फॉर्म का चयन करें। गलत फॉर्म चुनने से रिटर्न रिजेक्ट हो सकता है।

    पेनल्टी से बचें: समय पर रिटर्न फाइल करने से न केवल पेनल्टी से बचा जा सकता है, बल्कि रिफंड भी जल्दी मिलता है।

    इनकम टैक्स विभाग ने इन बदलावों के जरिए फाइलिंग को आसान और पारदर्शी बनाने की कोशिश की है, लेकिन टैक्सपेयर्स को नए नियमों को ध्यान से समझना होगा। अगर आपको रिटर्न फाइल करने में किसी तरह की मदद चाहिए, तो किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट या टैक्स विशेषज्ञ से संपर्क करें।

    Published on:
    20 May 2025 02:10 pm
    Also Read
    View All

    अगली खबर