New income tax bill: केंद्र सरकार नए इनकम टैक्स बिल को मंजूरी देने जा रही है, जो पुराने कानून को बदलकर करदाताओं के लिए सरल, स्पष्ट और पारदर्शी प्रणाली लागू करेगा। विधेयक सोमवार को संसद में पेश होगा।
New Income Tax Bill: केंद्र सरकार नए इनकम टैक्स बिल को जल्द मंजूरी देगी, जो छह दशक पुराने आयकर अधिनियम की जगह लेगा। यह विधेयक अगले हफ्ते सोमवार को संसद में पेश किया जाएगा, जो छह दशक पुराने मौजूदा आयकर अधिनियम की जगह लेगा। यह विधेयक अगले हफ्ते सोमवार को संसद में पेश किया जाएगा।
नए इनकम टैक्स बिल (New Income Tax Bill) का उद्देश्य करदाताओं के लिए कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाना है। वित्त सचिव तुहिन कांता पांडे ने कहा कि इस विधेयक में जटिल कानूनी भाषा और लंबी व्याख्याओं से बचा जाएगा। इसमें करदाताओं (New Income Tax Bill) के साथ एक नया संवाद स्थापित करने पर जोर होगा, जिसमें किसी भी नए कर भार को जोड़े बिना प्रक्रियाओं को आसान बनाया जाएगा।
इस विधेयक में हाल ही में घोषित इनकम टैक्स दरों, स्लैब और टीडीएस (Tax Deducted at Source) से जुड़े संशोधनों को भी शामिल किया जाएगा।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को पेश किए गए केंद्रीय बजट 2025-26 के दौरान घोषणा की थी कि सरकार बजट सत्र के दौरान नया आयकर कानून पेश करेगी। उन्होंने कहा था, "जिस तरह हमने भारतीय दंड संहिता को ‘भारतीय न्याय संहिता’ में बदला, उसी तरह नया इनकम टैक्स बिल (New Income Tax Bill) भी न्याय की इसी भावना को आगे बढ़ाएगा। यह विधेयक सरल भाषा में होगा और मौजूदा कानून की तुलना में अध्यायों और शब्दों की संख्या लगभग आधी होगी। इससे करदाताओं के लिए कर कानून को समझना आसान होगा, जिससे कर निश्चितता बढ़ेगी और मुकदमेबाजी कम होगी।
सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में आयकर अधिनियम की समीक्षा के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया था और चार प्रमुख विषयों—भाषा को सरल बनाने, मुकदमेबाजी कम करने, अनुपालन में आसानी और अप्रचलित प्रावधानों को हटाने—पर जनता से सुझाव मांगे थे। इस दौरान सरकार को 6,500 से अधिक सुझाव प्राप्त हुए थे।
इससे पहले भी सरकार ने आयकर कानून (New Income Tax Bill) को सरल बनाने के कई प्रयास किए हैं। वर्ष 2018 में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया था, जिसने 2019 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
यूपीए सरकार के कार्यकाल में 2009 में डायरेक्ट टैक्स कोड (DTC) का मसौदा तैयार किया गया था, जिसे 2010 में संसद में पेश किया गया। बाद में इसे स्थायी समिति के पास भेजा गया और 2012 व 2014 में संशोधित किया गया, लेकिन 15वीं लोकसभा भंग होने के साथ ही यह विधेयक समाप्त हो गया।