Rupees All Time Low: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया गुरुवार को एक बार फिर गिरावट के नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया। आइए जानते है पूरी खबर।
Rupees All Time Low: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया एक बार फिर गिरावट (Rupees All Time Low) के नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया है। 14 पैसे की गिरावट के साथ रुपया ₹85.08 के स्तर पर बंद हुआ, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है। इस गिरावट (Rupees All Time Low) के पीछे अमेरिकी फेडरल रिजर्व की आक्रामक मौद्रिक नीति और अंतरास्ट्रीय आर्थिक स्थितियां प्रमुख कारण मानी जा रही हैं।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने हाल ही में 2025 के लिए अपने आर्थिक अनुमानों में बदलाव किया है, जिससे डॉलर की मजबूती बढ़ी है। ब्याज दरों में संभावित कमी के बावजूद, फेडरल रिजर्व ने सख्त मौद्रिक नीतियों को बनाए रखने के संकेत दिए हैं। इससे न केवल भारतीय रुपया बल्कि अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं पर भी दबाव बढ़ा है।
विश्लेषकों का कहना है कि रुपए की यह गिरावट (Rupees All Time Low) मुख्य रूप से फेडरल रिजर्व की नीति के कारण है, जिसने अंतरास्ट्रीय बाजार में डॉलर को और मजबूत कर दिया है। विदेशी मुद्रा व्यापारियों के अनुसार, फेडरल रिजर्व की इस नीति से निवेशक सुरक्षित मुद्राओं की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे उभरते बाजारों की मुद्राओं पर नकारात्मक असर पड़ा है।
शेयर बाजार (Share Market) में भारी बिकवाली और कच्चे तेल की बढ़ती कीमत ने भी रुपए की कमजोरी को बढ़ावा दिया है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय बाजारों से बड़े पैमाने पर पूंजी निकाली है। बुधवार को FII ने शुद्ध रूप से ₹1,316.81 करोड़ के शेयर बेचे। निवेशक अब भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता को लेकर चिंतित हैं, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता बढ़ रही है। आयातकों द्वारा डॉलर की मांग में वृद्धि ने भी रुपये पर दबाव बनाया है।
कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत हाल ही में तेजी से बढ़ी हैं, जिससे भारत का आयात बिल बढ़ा है। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा आयात करता है, और डॉलर की बढ़ती कीमत ने इस बोझ को और बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि तेल की कीमत उच्च स्तर पर बनी रहती हैं, तो रुपए पर और अधिक दबाव देखने को मिल सकता है।
गुरुवार को रुपया इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार (Share Market) में कमजोरी (Rupees All Time Low) के साथ खुला और दिन के दौरान ₹85.08 तक पहुंच गया। बुधवार को रुपया डॉलर के मुकाबले ₹84.94 पर बंद हुआ था। यह पहली बार है जब रुपया ₹85 के स्तर को पार कर गया।
विश्लेषकों का मानना है कि रुपए पर दबाव निकट भविष्य में बना रह सकता है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में सुधार के संकेत मिलने तक भारतीय मुद्रा की स्थिति कमजोर (Rupees All Time Low) रह सकती है। हालांकि, आरबीआई(RBI) के पास इस समय सीमित विकल्प हैं, क्योंकि अंतरास्ट्रीय आर्थिक परिस्थितियों का प्रभाव व्यापक है।
सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रुपए को स्थिर रखने के लिए सक्रिय प्रयास कर रहे हैं। आयातकों को नियंत्रित करने और निर्यातकों को प्रोत्साहन देने जैसे कदम उठाए जा सकते हैं। इसके अलावा, विदेशी निवेश आकर्षित करने और घरेलू बाजार में विश्वास बनाए रखने के लिए नीतिगत उपायों पर विचार किया जा रहा है।
रुपए की कमजोरी का सीधा असर आम जनता पर भी पड़ता है। आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे महंगाई पर दबाव बढ़ेगा। खासतौर पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। इसके अलावा, विदेशी शिक्षा और पर्यटन भी महंगे हो सकते हैं।