India-US Trade Deal: एक अगस्त की डेडलाइन पास आ गई है और अभी तक भी भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील फाइनल नहीं हुई है। छठे दौर की बातचीत के लिए अमरीकी प्रतिनिधिमंडल 25 अगस्त को भारत आने वाला है।
India-US Trade Deal: अमरीका- भारत के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत जारी है। छठे दौर की बातचीत के लिए अमरीकी प्रतिनिधिमंडल 25 अगस्त को भारत आएगा। ट्रंप टैरिफ की एक अगस्त की डेडलाइन आने से पहले अमरीका के व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन गीर ने कहा है कि भारत के साथ और बातचीत की जरूरत है। उन्होंने कहा, वॉशिंगटन को यह देखने के लिए और बातचीत करनी होगी कि भारत सरकार व्यापार समझौता करने के लिए कितनी इच्छुक है। उन्होंने कहा, भारत की पुरानी नीति अपने बाजार को बचाने की रही है। अगर भारत बाधाएं कम करता है तो यह बड़ा बदलाव होगा।
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि भारत-अमरीका ट्रेड डील की सबसे बड़ी बाधा ट्रंप की 'डील के अंदर डील' रणनीति है। साथ ही ट्रंप का अप्रत्याशित रवैया भी भरोसे को कमजोर कर रहा है। फरवरी 2025 में दोनों देशों के अधिकारियों ने तय किया था कि पहले कुछ चीजों पर समझौता करेंगे, जिसे 'अर्ली हार्वेस्ट डील' कहा गया। इसमें 40% चीजों पर टैक्स घटाने और बाजार खोलने की बात थी। बाकी मुद्दों पर बाद में बात होनी थी। पर ट्रंप ने कहा कि वह तब तक कोई समझौता नहीं करेंगे जब तक सारी बातें एक साथ तय नहीं होतीं।
ट्रंप चाहते हैं भारत एक जैसी टैक्स दर मान ले, जैसे ईयू के साथ 15% की औसत दर पर डील हुई है। साथ ही कृषि - डेयरी उत्पादों पर शुल्क छूट चाहते हैं, जिसके लिए भारत तैयार नहीं है। अमरीका भी स्टील ऑटो पर राहत देने को तैयार नहीं है।
ट्रेड डील में बातचीत सिर्फ आयात-निर्यात की नहीं रह गई है। अमरीका चाहता है कि भारत अमरीकी कंपनियों को निवेश और सरकारी खरीद में मौका दे। साथ ही कुछ ऐसे मुद्दे भी हैं, जो ट्रंप की निजी कंपनियों से जुड़े हैं। जैसे रियल एस्टेट या क्रिप्टो नियम, वो भी इस डील में शामिल कर दिए गए हैं। इससे यह डील जटिल और राजनीतिक हो गई है।
ट्रंप प्रशासन चाहता है कि भारत सभी शुल्कों को मिलाकर औसत सीमा शुल्क तय करे। ईयू और जापान जैसे देशों ने इसी तरह की एकल दर स्वीकार की है। पर भारत उत्पाद के आधार पर अलग-अलग आयात शुल्क लागू करता रहा है। कई दरों को एक में समाहित करना बेहद कठिन है।
अगर 1 अगस्त 2025 तक ट्रेड डील नहीं हुई, तो भारत से अमरीका भेजे जाने वाले सामानों पर अमरीका 15% से 26% तक आयात शुल्क लगा सकता है। इससे भारत के कपड़ा, दवा, ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों को बड़ा नुकसान होगा। भारत चाहता है कि इस डेडलाइन को आगे बढ़ाया जाए, लेकिन ट्रंप लचीलापन नहीं दिखा रहे हैं।
ट्रेड डील को लेकर जारी अनिश्चितता ने व्यापार को ठप कर दिया है। अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ने कहा, इस समय हमारा कारोबार लगभग रुक चुका है, क्योंकि खरीदारों को यह नहीं पता कि टैरिफ कितना लगेगा। अमरीका के खरीदार ऑर्डर देने से बच रहे हैं।