छतरपुर

छतरपुर जिले में आपदा राहत राशि में 37 लाख का घोटाला, 100 प्रतिशत रिकवरी के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं

कैग की रिपोर्ट ने राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, गौरिहार तहसील में अतिवृष्टि और सूखा राहत राशि वितरण के दौरान बड़ी गड़बड़ी की गई, जिसमें फर्जी खातों में बार-बार राशि ट्रांसफर कर दी गई।

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Aug 26, 2025
जिला कोषालय छतरपुर

प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से राहत पहुंचाने के लिए भेजी गई करोड़ों की सहायता राशि के दुरुपयोग का मामला छतरपुर जिले में भी सामने आया है। कैग की रिपोर्ट ने राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, गौरिहार तहसील में अतिवृष्टि और सूखा राहत राशि वितरण के दौरान बड़ी गड़बड़ी की गई, जिसमें फर्जी खातों में बार-बार राशि ट्रांसफर कर दी गई।

37 लाख की रिकवरी, लेकिन कार्रवाई नहीं

छतरपुर जिले में इस गड़बड़ी की राशि 37.31 लाख रुपए आंकी गई थी। प्रशासन ने 100 प्रतिशत रिकवरी कर ली है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब पूरा घोटाला उजागर हो चुका है तो अब तक दोषी पर एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की गई? केवल तत्कालीन नाजिर शैलेन्द्र हिमांचल को निलंबित कर बर्खास्तगी का प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन नाजिर की अपील पर संभाग कमिश्नर ने बर्खास्तगी से राहत दे दी और निलंबन भी बहाल कर दिया। हालांकि निलंबन अवधि के मानदेय का मामला अभी भी निराकृत नहीं किया गया है।

अपात्रों के खाते में भेजे गए पैसे


जिन लोगों के खातों में यह राशि भेजी गई, उनमें वैभव खरे, बुंदेलखंड विकास निधि लिमिटेड, रोहित प्रभाकर, लैला अहिरवार, राजेन्द्र राजपूत, अजय कुमार नाहर, मनोज कुशवाह, बबीता अहिरवार, नत्थू अहिरवार, मीरा तिवारी, चंद्रप्रकाश तिवारी, अभिलाषा कुशवाह, रविशंकर रावत, कौशलेन्द्र वर्मा, लीला अहिरवार, सचिन रावत, हिरदासा रावत, यश रावत और नरेंद्र कुमार जैसे अपात्र नाम शामिल हैं। यह सभी लोग पात्र किसानों की श्रेणी में नहीं आते थे।

प्रदेश भर में सामने आए ऐसे घाटोले


कैग रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 से 2024-25 के बीच प्रदेश के 20 जिलों में राहत राशि के 288 प्रकरणों में कुल 27.90 करोड़ रुपये का गबन हुआ। इसमें से अब तक केवल 7.43 करोड़ रुपए की ही वसूली हो सकी है, जबकि 20.47 करोड़ रुपए की राशि अभी भी बकाया है। इसके उलट छतरपुर, मंदसौर, रायसेन और सतना जैसे जिलों में 100 प्रतिशत रिकवरी हो चुकी है, लेकिन वहां भी दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई।

चहेतों को लाभ पहुंचाया


यह साफ़ तौर पर दर्शाता है कि राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने शासन द्वारा दी गई राशि का अनुचित तरीके से उपयोग किया और इसे अपने चहेतों तक पहुंचाया। इस धोखाधड़ी का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि घोटाले की जानकारी मिलने के बावजूद प्रशासन ने मामला दबाने का काम किया और दोषियों के खिलाफ किसी भी प्रकार की एफआईआर दर्ज नहीं की गई। हालांकि, जब मामला सार्वजनिक हुआ, तब प्रशासन ने मामले की जांच करने की बात तो कही, लेकिन घोटाले में लिप्त अधिकारियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

घोटाले के तौर-तरीके

राहत राशि में गड़बड़ी कई स्तरों पर की गई।
फसल नुकसान- बिना वास्तविक नुकसान के मुआवजा बांटा गया
मृत्यु सहायता- फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र और बैंक खातों के आधार पर राशि निकाली गई
पशुधन क्षति- बिना पशु चिकित्सक की पुष्टि के भुगतान कर दिया गया
मकान क्षति- ऐसे लोगों को राशि दी गई जिनके मकान का नुकसान हुआ ही नहीं था

इनका कहना है


गड़बड़ी सामने आने पर संबंधित कर्मचारी को निलंबित किया गया था। बर्खास्तगी की कार्यवाही भी प्रस्तावित की गई थी। अपील में उन्हें राहत मिली है। लेकिन निलंबन अवधि के वेतन बगैरह अभी भी नहीं दिया गया है।
विनोद कुमार श्रीवास्तव, जिला कोषालय अधिकारी

Published on:
26 Aug 2025 10:34 am
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