बच्चों को अब हेल्दी डाइट की जगह फास्ट फूड और चॉकलेट की आदत लगने के पीछे कहीं न कहीं माता पिता द्वारा अधिक लाड़ प्यार उन्हें बीमारियों की ओर खड़ा कर रहा है।
आधुनिकता के दौर में अब अभिभावकों ने बच्चों के खानपान में बदलाव कर दिए हैं। बच्चों को अब हेल्दी डाइट की जगह फास्ट फूड और चॉकलेट की आदत लगने के पीछे कहीं न कहीं माता पिता द्वारा अधिक लाड़ प्यार उन्हें बीमारियों की ओर खड़ा कर रहा है। वहीं आजकल पैक्ड मिल्क की डिमांड भी अधिक हो गई है, जिसकी वजह से बच्चों को बीमारियों ने घेर लिया है। बीते 11 माह में जिले में बच्चों के अंदर अल्सर की समस्या उभरकर सामने आई है और लगभग 639 बच्चे अल्सर के रोग से पीड़ित हुए हैं। बढ़ते हुए अल्सर के पीछे चिकित्सक पैक्ड पाउडर मिल्क को दोषी मान रहे हैं।
आजकल पैक्ड पाउडर मिल्क को सबसे ज्यादा खरीदा जा रहा है जिस वजह से सेवन करने के बाद बच्चों में अल्सर, किडनी और निमोनिया जैसी बीमारियों के लक्षण देखे जा रहे हैं। क्योंकि बंद पैकेट के दूध में केमिकल की मात्रा होती है जिससे पाचन क्रिया भी प्रभावित हो रही है।चिकित्सकों का कहना है कि 5 साल की आयु तक बच्चों को केवल हेल्दी भोजन का ही सेवन कराना चाहिए। वहीं कुछ मामलों में देखा गया है कि 6 माह की आयु के पहले ही बच्चों को पैक्ड मिल्क और फूड का सेवन करा दिया जाता है, जो बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालता है। 6 माह तक बच्चों को केवल मां का स्तनपान ही जरूरी होता है। अन्य फूड बच्चे डाइजेस्ट नहीं कर पाते और उनके स्वास्थ्य पर खतरनाक साबित होता है।
जिले में बच्चों में किडनी से जुडी शिकायतें भी दर्ज हुई हैं। करीब 76 बच्चों को लीवर और किडनी से संबधित बीमारी हुई। हालांकि इन बच्चों में पांच साल से ऊपर की आयु वाले बच्चे फास्ट फूड की वजह से परेशान हुए। पैक्ड पाउडर मिल्क तीन साल से कम आयु के बच्चों को घातक बन रहा है। इस समय बच्चों का डाइजेस्टिव सिस्टम इतना मजबूत नहीं होता कि वे केमिकलयुक्त दूध को पचा सकें।
हानिकारक रसायन: एफ्लाटॉक्सिन जैसे रसायन बच्चों के लीवर और दिमाग को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे कैंसर और दिमागी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है, खासकर छोटे बच्चों के लिए। साथ ही छोटे बच्चों की किडनी और लीवर पैकेट वाले दूध से प्रभावित हो सकते हैं, जो उनके विकास को बाधित करता है। वहीं कुछ बच्चों को दूध से एलर्जी या लैक्टोज इनटॉलरेंस हो सकती है, जिससे पेट फूलना, दस्त जैसी समस्याएं होती हैं। छोटे बच्चों के लिए मां का दूध सबसे अच्छा होता है, क्योंकि इसमें सभी ज़रूरी पोषक तत्व होते हैं।
उबालकर पीएं- पैकेट का दूध इस्तेमाल करने से पहले एक बार अच्छी तरह उबाल लें, इससे बैक्टीरिया मर जाते हैं और दूध सुरक्षित हो जाता है।
डॉक्टर से पूछें- 6 महीने से ऊपर के बच्चों को पैकेट वाला दूध देने से पहले बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।
सही उम्र का ध्यान रखें- छोटे बच्चों (6 महीने से कम) को सिर्फ मां का दूध ही दें. उसके बाद डॉक्टर की सलाह से धीरे-धीरे पैकेट वाला दूध शुरू कर सकते हैं।
6 महीने तक बच्चे को केवल मां का स्तनपान कराना जरुरी होता है। पैक्ड पाउडर मिल्क को पूरी तरह से अवॉइड करना चाहिए। केमिकल की मात्रा बच्चों को प्रभावित करती है। 6 माह के बाद बच्चों को संलुलित आहार की आवश्यकता होती है। उसके लिए दाल का पानी, खिचड़ी दलिया आदि की आदत डालें। पैक्ड मिल्क को पूरी तरह से छोड़े।
डॉ ऋषि द्विवेदी, जिला अस्पताल