मॉल संचालक ने सामान खरीदने के बदले छूट के कूपन दिए थे, लेकिन जब अगली बार सामान लेने जाने के दौरान छूट के कूपन का उपयोग किया तो दो कूपन के स्थान पर एक कूपन का ही लाभ मिला। उपभोक्ता ने संचालक के कहे अनुसार छूट मांगी तो उसने मना कर दिया।
छतरपुर. मॉल संचालक ने सामान खरीदने के बदले छूट के कूपन दिए थे, लेकिन जब अगली बार सामान लेने जाने के दौरान छूट के कूपन का उपयोग किया तो दो कूपन के स्थान पर एक कूपन का ही लाभ मिला। उपभोक्ता ने संचालक के कहे अनुसार छूट मांगी तो उसने मना कर दिया। परिणामस्वरूप उपभोक्ता ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग की शरण ली। फैसला उपभोक्ता के पक्ष में आया है। 1500 की बचत के बदले मॉल संचालक को 30 हजार की चपत लग गई।
जानकारी के मुताबिक शहर के गल्लामण्डी सर्राफा मार्ग के रहने वाले अभिषेक खरे ने नौगांव रोड पर स्थित विशाल मेगा मार्ट से 13 जुलाई 23 को निजी आवश्यकता का सामान 7528 रूपए में खरीदा था। मॉल संचालक ने 500 रूपए की कीमत के 6 कूपन दिए थे। जो 31 जुलाई 23, 31 अगस्त 23 और 30 सितम्बर 23 तक उपयोग किए जा सकते थे। 28 जुलाई 23 को खरे घरेलू सामान की खरीददारी करने मॉल में पहुंचे और उन्होंने 2702 रूपए का भुगतान किया। मॉल संचालक ने केवल 500 रूपए का एक कूपन ही मान्य किया। जबकि पूर्व में मॉल संचालक द्वारा कहा गया था कि 7528 रूपए का सामान खरीदने के बदले 500 रूपए कीमत के दो कूपन हर माह डिस्काउंट में उपयोग किए जा सकेंगे।
मॉल की विश्वसनीयता के आधार पर उपभोक्ता ने कूपन ले लिए लेकिन खरीददारी के दौरान मॉल संचालक ने सिर्फ एक कूपन का ही डिस्काउंट दिया। मौखिक तौर पर उससे दो कूपन डिस्काउंट की बात की गई, जब वह अपनी बात से मुकर गया तो उपभोक्ता खरे ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग की शरण ली। पूरे प्रकरण को सुनने और तथ्यों को परखने के बाद आयोग के अध्यक्ष सनत कुमार कश्यप, सदस्य निशा गुप्ता एवं धीरज कुमार गर्ग ने प्रकरण को स्वीकार कर मॉल संचालक के खिलाफ आदेश पारित किया। मॉल संचालक उपभोक्ता को सेवा में कमी के बदले 25 हजार रूपए एवं परिवाद व्यय के रूप में 5 हजार रूपए चुकाएगा। इस परिवाद की पैरवी एडवोकेट मनीष भार्गव एवं अभिलेख खरे ने की। इस निर्णय से उन उपभोक्ताओं को बल मिलेगा जो मॉल संचालकों की ठगी का शिकार होते हैं।