महोबा जिले में 15 बड़े जलाशयों को केन-बेतवा लिंक परियोजना से भरने के लिए डीपीआर तैयार कर लिया गया है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश ने केन नदी पर दो नए बैराज के निर्माण की मंजूरी केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय से हासिल कर ली है
केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत छतरपुर जिले में मध्य प्रदेश के हिस्से के काम लगातार पिछड़ते जा रहे हैं, जबकि उत्तर प्रदेश ने अपने हिस्से के निर्माण को तेजी से शुरू कर दिया है। केन नदी पर बरियारपुर बांध के डाउनस्ट्रीम में छतरपुर की सीमा पर दो बैराज का निर्माण कार्य चल रहा है। वहीं, बांदा जिले में पानी ले जाने वाली बरियारपुर बांध की दाईं नहर का पुनर्निर्माण उत्तर प्रदेश जलशक्ति विभाग ने शुरू कर दिया है। इसके विपरीत छतरपुर जिले की बाईं नहर का डीपीआर (डिजाइन एवं परियोजना रिपोर्ट) तक तैयार नहीं हो पाया है।
मध्य प्रदेश जल संसाधन विभाग के ईई और एसई स्तर के अधिकारियों को परियोजना की सही जानकारी नहीं है। इस लापरवाही का सबसे अधिक खामियाजा छतरपुर, टीकमगढ़ और पन्ना जिले के किसानों को भुगतना पड़ेगा। सीमावर्ती जिले होने के कारण आज़ादी के बाद से ही छतरपुर को सिंचाई परियोजनाओं में पिछडऩे का सामना करना पड़ा है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश द्वारा संचालित संयुक्त परियोजनाओं बरियारपुर, बेनीसागर और उर्मिल में उत्तर प्रदेश का हिस्सा अधिक है। कम वर्षा की स्थिति में पहले उत्तर प्रदेश को पानी दिया जाता है और उसके बाद बचे हुए पानी से मध्य प्रदेश के किसानों को सिंचाई मिलती है। यही भेदभाव अब केन-बेतवा लिंक परियोजना में भी दिख रहा है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने बरियारपुर बांध से निकलने वाली दाईं नहर की मरम्मत के लिए 800 करोड़ रुपए आवंटित कर दिए हैं। नहर की लंबाई के अनुसार अलग-अलग टेंडर जारी किए गए हैं और अब इसका पुनर्निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। इसके साथ ही महोबा जिले में 15 बड़े जलाशयों को केन-बेतवा लिंक परियोजना से भरने के लिए डीपीआर तैयार कर लिया गया है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश ने केन नदी पर दो नए बैराज के निर्माण की मंजूरी केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय से हासिल कर ली है। ये दोनों बैराज बरियारपुर बांध के डाउनस्ट्रीम में बनाए जा रहे हैं और 130 एमसीएम पानी रोकने की क्षमता रखेंगे। इससे उत्तर प्रदेश की 1,92,479 हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी। पहला बैराज छतरपुर जिले की सीमा पर और दूसरा बांदा शहर के नजदीक भूरागढ़ गांव के पास बनाया जा रहा है।
वहीं, मध्य प्रदेश जल संसाधन विभाग बरियारपुर बांयी नहर के पुनर्निर्माण में अभी तक किसी ठोस कदम पर नहीं पहुंच पाया है। बरियारपुर बाईं नहर 80 किलोमीटर लंबी है और केन नदी की बाढ़ में इसका बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। विभाग इस प्रोजेक्ट को केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के समक्ष पेश नहीं कर सका है, जिससे स्वीकृति भी नहीं मिल पाई है।
छतरपुर जिले में स्थित बरियारपुर और उर्मिल बांधों से सिंचाई का 66 प्रतिशत पानी उत्तर प्रदेश और 33 प्रतिशत पानी मध्य प्रदेश को मिलता है। उर्मिल बांध से 60 प्रतिशत पानी छतरपुर और 40 प्रतिशत उत्तर प्रदेश को जा रहा है। इस असंतुलन के कारण छतरपुर के किसान लगातार प्रभावित हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर प्रदेश अपने हिस्से का काम तेजी से पूरा कर परियोजना पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। इस बीच मध्य प्रदेश के हिस्से के काम में लगातार देरी और लापरवाही से सीमावर्ती जिलों के किसानों की सिंचाई की चिंता बढ़ती जा रही है।
बरियारपुर बाई नहर के लिए शासन की गाइडलाइन का इंतजार है। सर्वे और डीपीआर गाइडलाइन मिलते ही शुरू कराया जाएगा।
उमा गुप्ता, कार्यपालन अभियंता, केन बेतवा लिंक