खुले बाजार में गेहूं के दाम सरकारी समर्थन मूल्य से अधिक होने के कारण किसानों ने पंजीयन से दूरी बना ली है। जबकि पंजीयन की अंतिम तारीख 31 मार्च निर्धारित की गई है
जिले में इस बार गेहूं के उपार्जन के लिए किसानों में रुचि कम देखने को मिल रही है। कर्ज की राशि चुकाने के डर से किसान इस बार समर्थन मूल्य पर गेहूं के उपार्जन के लिए पंजीयन नहीं करा रहे हैं। इसके साथ ही खुले बाजार में गेहूं के दाम सरकारी समर्थन मूल्य से अधिक होने के कारण किसानों ने पंजीयन से दूरी बना ली है। जिले में अब तक सिर्फ 2205 किसानों ने गेहूं के उपार्जन के लिए पंजीयन कराया है, जबकि पंजीयन की अंतिम तारीख 31 मार्च निर्धारित की गई है।
किसानों के बीच चिंता का कारण यह है कि सरकारी खरीदी के तहत उपज के उपार्जन के बाद उनकी कर्ज की राशि काटकर भुगतान किया जाता है, जो किसान नहीं चाहते। इस कारण से वे सरकारी खरीद प्रक्रिया से बचने का प्रयास कर रहे हैं। इसके अलावा, खुले बाजार में गेहूं की कीमत वर्तमान में 2550 प्रति क्विंटल के आसपास है, जो कि सरकारी समर्थन मूल्य 2425 से अधिक है। इस स्थिति में, किसान अधिक मुनाफा कमाने के लिए खुले बाजार की ओर रुख कर रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में गेहूं की खरीद दर को 2600 प्रति क्विंटल करने की घोषणा की थी, लेकिन इस आदेश का शासन स्तर से अभी तक कोई आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ है। इस मामले पर स्थिति तब सुधर सकती है जब यह आदेश जारी हो और किसान सरकारी खरीद की ओर आकर्षित हों।
जिले के विभिन्न तहसीलों में पंजीयन की स्थिति पर नजर डालें तो घुवारा तहसील में सबसे अधिक 566 पंजीयन हुए हैं, जबकि राजनगर तहसील में 474 और बड़ामलहरा में 298 पंजीयन दर्ज किए गए हैं। वहीं, गौरिहार और चंदला तहसीलों में पंजीयन की संख्या बहुत कम रही है, जिससे यह क्षेत्र सबसे पीछे है। गौरतलब है कि लवकुशनगर में भी सिर्फ 30 किसानों ने ही पंजीयन कराया है।
खुले बाजार में दाम अधिक होने के कारण किसानों के लिए फसलों को खुले बाजार में बेचने में अधिक मुनाफा हो रहा है। इससे किसानों के बीच सरकारी समर्थन मूल्य से अधिक लाभ की उम्मीद बनी रहती है। इसके अलावा, सरकारी खरीद में आने वाले भाड़े और हम्माल खर्च को बचाने के लिए भी किसान खुले बाजार की तरफ रुख कर रहे हैं। जिला प्रबंधक नान राजेश साकल्ले का कहना है कि किसानों के बीच कर्ज की राशि काटे जाने का डर है, इसी कारण पंजीयन में गिरावट देखी जा रही है। गेहूं का बाजार भाव भी सरकारी समर्थन मूल्य से अधिक होने के कारण किसानों का रुझान खुले बाजार की तरफ बढ़ रहा है। इस स्थिति में अब किसानों की उम्मीदें सरकार द्वारा घोषित 2600 प्रति क्विंटल की दर पर टिकी हुई हैं, जो यदि जल्द लागू होती है तो इसका असर पंजीयन संख्या में बढ़ोतरी के रूप में देखा जा सकता है।