खजुराहो में स्थापित आदिवर्त संग्रहालय में 8 दिसंबर को पारंपरिक कलाओं के गुरुकुल का भव्य लोकार्पण किया जाएगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री और राज्य के सभी मंत्रीगण उपस्थित रहेंगे।
मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग के तहत खजुराहो में स्थापित आदिवर्त संग्रहालय में 8 दिसंबर को पारंपरिक कलाओं के गुरुकुल का भव्य लोकार्पण किया जाएगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री और राज्य के सभी मंत्रीगण उपस्थित रहेंगे।
यह गुरुकुल पूरे देश में अपनी तरह का पहला प्रयास है, जहां मध्यप्रदेश की पारंपरिक शिल्प, नृत्य, गायन, वादन और साहित्य जैसी कलाओं को सीखने और सिखाने की व्यवस्था की गई है। इस पहल का उद्देश्य प्रदेश की देशज और पारंपरिक कलाओं को संरक्षित करना और रोजगार के नए अवसर भी सृजित करना है।
आदिवर्त संग्रहालय में स्थापित यह गुरुकुल पर्यटकों और शोधार्थियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र रहेगा। यहां आने वाले लोग मध्यप्रदेश की विविध सांस्कृतिक परंपराओं का अनुभव कर सकेंगे और राज्य की जीवन-शैली, कला और संस्कृति के बहुआयामी पहलुओं से परिचित होंगे।
यह गुरुकुल लोक कला, काष्ठ शिल्प, हस्तशिल्प, लोह शिल्प, लोक नृत्य, लोकगीत और लोक संगीत जैसी पारंपरिक कलाओं को सिखाने का केंद्र बनेगा। वर्तमान में कई लोककलाएं विलुप्त होने की कगार पर हैं और इस गुरुकुल के माध्यम से नई पीढ़ी को इन कला रूपों की सीख दी जाएगी ताकि इनका संरक्षण और संवर्धन किया जा सके।
गुरुकुल में लगभग 250 कलाकारों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जाएगी, जहां वे अनुभवी गुरुओं से विभिन्न लोककलाओं का व्यावहारिक और सैद्धांतिक ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे। इसमें एक ही स्थान पर पांच प्रमुख शिल्प विधाओं का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। संस्कृति विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य लोककलाओं को जीवित रखना और नई पीढ़ी में इनकी महत्ता को समझना है।
इस गुरुकुल के माध्यम से न केवल पारंपरिक कलाओं का संरक्षण होगा, बल्कि इससे जुड़ी नई कला कौशल और रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। पर्यटक और शोधार्थी यहां आकर प्रदेश की विविध सांस्कृतिक परंपराओं का गहन अध्ययन कर सकेंगे और मध्यप्रदेश की समृद्ध कला विरासत का अनुभव कर सकेंगे।
संग्रहाध्यक्ष आदिवर्त संग्रहालय अशोक मिश्रा ने बताया कि गुरुकुल का लोकार्पण समारोह प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान को और मजबूत करेगा और पारंपरिक कलाओं के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।