निगम आयुक्त के दिशा-निर्देश पर फे स अटेंडेंस में 1935 कर्मचारी रजिस्टर्ड है। इस समय कर्मचारियों की हाजिरी औसतन 1650 कर्मचारियों की लग रही र्है।
नगर निगम के कर्मचारियों की सूची में मृतक और सेवानिवृत्त अधिकारी-कर्मचारियों के नाम नहीं हटाए गए हैं या फिर उनके नाम पर नौकरी फर्जी तरीके से चल रही है। दो माह से चल रही फेस अटेंडेंस में इस गड़बड़ी को पकड़ा गया है। जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी नामों की सूची को संशोधित करने में लगे हुए है।
निगम के रेकार्ड के अनुसार इस समय नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारियों की हाजिरी में फेस अटेंडेंस साफ्टवेयर लाया गया है। इसका ट्रायल दो माह से कर्मचारियों के बीच चल रहा है। निगम आयुक्त के दिशा-निर्देश पर फे स अटेंडेंस में 1935 कर्मचारी रजिस्टर्ड है। इस समय कर्मचारियों की हाजिरी औसतन 1650 कर्मचारियों की लग रही र्है। बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की संख्या में आ रहे अंतर की निगम आयुक्त ने जांच कराई कि कर्मचारियों की पुरानी संख्या को सॉफ्टवेयर में शामिल किया गया है। इनमें बहुत से कर्मचारी मृतक हो गए है या फिर सेवानिवृत्त हो गए हैं। इसके साथ कर्मचारियों की संख्या में फर्जीवाड़ा भी हो सकता है। फिलहाल इस मामले में जांच में लिया गया है।
कर्मचारियों की वास्तविक संख्या और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की जांच के लिए पर नगर निगम आयुक्त ने एक जांच कमेटी भी गठित की है। इनमें दो उपायुक्त रोशन सिंह बाथम, कमलेश निरगुडकऱ और कार्यालय अधीक्षक मोहन नागदेव शामिल है। इन अधिकारियों को ढीले कामकाज पर नोटिस भी जारी किया गया था। अब ये अधिकारी पुन: कर्मचारियों की संख्या वास्तविक है या नहीं, जांच में जुट गए हैं। इससे वास्तविक संख्या सामने आएगी।
नगर निगम में इस समय 1935 अधिकारी-कर्मचारियों का वेतन 4 करोड़ रुपए पहुंचा है। इससे निगम को प्रतिमाह वित्तीय भार आ रहा है। इस कर्मचारी संख्या में मृतक, सेवानिवृत्त आ ैर फर्जी तरीके से कृत्रिम नाम हो सकते हैं। निगम की जांच में कर्मचारियों के नाम पर फर्जीवाड़ा सामने आ सकता है। जिसे फेस अटेंडेंस से सामने लाया जा सकता है।
कर्मचारियों के नाम पुरानी सूची से सॉफ्टवेयर मेें उठा लिए गए हैं। इनमें मृतक और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के नाम है। उनकी छंटाई की जा रही है। इसके अलावा निगम के कर्मचारियों पर गठित जांच कमेटी काम कर रही है। इससे शुद्ध सूची जल्द सामने आ जाएगी।
-सीपी राय, आयुक्त नगर निगम