ठगी से बचने के लिए कई तरह की सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती हैं। जैसी बैंक खाते को यूपीआइ आइडी से नहीं जोड़ना चाहिए।
चित्तौड़गढ़।ऑनलाइन भुगतान के स्तर में अब तेजी से बदलाव आ रहा है। लोग यूपीआई ऐप से ऑनलाइन लेनदेन करने लगे हैं। पर जरा सी लापरवाही आपको ठगी का शिकार बना सकती है। पुलिस अधीक्षक सुधीर जोशी ने बताया कि जो लोग यूपीआइ ऑटो-पे उपयोग में ले रहे हैं, उन्हें जालसाज ऑटो-पे रिक्वेस्ट व अन्य मैसेज भेजते हैं।
ऐसे मैसेज हूबहू प्रतिष्ठित कंपनियों और संस्थाओं के मैसेज से मिलते-जुलते होते हैं। इनमें भुगतान का लिंक जालसाजों का रहता है। इसके बाद ये लोग झांसे में लेते हैं। जैसे बिजली, नल का बिल, ओटीटी सब्सक्रिप्शन आदि के बारे में कहा जाता है और लोग भी इनकी बातों में आकर भुगतान की अनुमति दे देते हैं।
यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस क्यूआर कोड और आइडी से आसानी से ऑनलाइन भुगतान कर देता है। कई भुगतान ऐसे होते हैं जो एक तय तारीख को दिए जाते हैं। इनमें यूपीआई ऑटो पेमेंट सुविधा का उपयोग किया जाता है। इस सुविधा से ओटीटी रिचार्ज, मोबाइल रिचार्ज, यूचुअल फण्ड इन्वेस्टमेंट, लोन, क्रेडिट कार्ड बिल पेमेंट, नल-बिजली के बिल के भुगतान सहित अन्य कई पेमेंट स्वत: ही किए जा सकते हैं।
इसलिए, जहां तक संभव हो ऑटो-पे नहीं करना चाहिए। किसी भी प्रकार का मैसेज आने पर उसे जांचकर ही पेमेंट करना चाहिए। कई बार ठगी करने वाले कंपनियों के मैसेज कॉपी करके भेजते हैं और लोगों को भ्रमित करते हैं। ऐसे में पूरी जांच करने के बाद ही किसी भी मैसेज के माध्यम से पेमेंट करना चाहिए।
ठगी से बचने के लिए कई तरह की सावधानियां बरतने की आवश्यकता होते हैं। जैसी बैंक खाते को यूपीआइ आइडी से नहीं जोड़ना चाहिए। बैंक खाते की जगह यूपीआइ वॉलेट का उपयोग करना चाहिए। मोबाइल पर चाहे कोई भी संदेश आए पर भुगतान की अनुमति पूरी जांच-परख करने के बाद ही देनी चाहिए।