चूरू

Churu : देव उठनी एकदशी से शुरू हुए सावों को लगा विराम, इस साल का आखरी सावा आज

साल 2025 में विवाह के लिए अब एक ही शुभ मुहूर्त केवल गुरुवार का है। इसके बाद 16 दिसंबर से खरमास (inauspicious) शुरू हो जाएगा। इस बीच 15 दिसंबर को शुक्र का तारा भी अस्त होगा तथा यह एक फरवरी तक अस्त रहेगा।

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Dec 11, 2025
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चूरू. देव उठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2025) से शुरू हुए सावों के सीजन को अब थोड़े दिन के लिए विराम लगेगा। 11 दिसम्बर को आखरी सावा रहेगा, 15 को शुक्र तारा अस्त होने के साथ 16 दिसम्बर से खरमास शुरू हो जाएग। इस दौरान विवाह आदि कार्यक्रम नहीं होंगे, लेकिन पूजन कथा सहित आध्यात्मिक अनुष्ठान जारी रहेंगे।

एक फरवरी तक अस्त रहेगा शुक्र
साल 2025 में विवाह के लिए अब एक ही शुभ मुहूर्त केवल गुरुवार का है। इसके बाद 16 दिसंबर से खरमास (inauspicious) शुरू हो जाएगा। इस बीच 15 दिसंबर को शुक्र का तारा भी अस्त होगा तथा यह एक फरवरी तक अस्त रहेगा। इस वजह से अगले वर्ष चार फरवरी से मांगलिक कार्य शुरू होंगे। इस अवधि में विवाह, मुंडन, नवीन गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत समेत मांगलिक कार्य नहीं होंगे, परंतु धार्मिक अनुष्ठान पूजन, कथा प्रवचन आदि होते रहेंगे।

धनु राशि में प्रवेश करेंगे सूर्य
पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि 16 दिसंबर को सुबह 4.20 बजे सूर्यदेव धनु राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन धनु (Sagittarius) संक्रांति होगी व खरमास (मलमास) की भी शुरुआत होगी। 14 जनवरी को जब सूर्यदेव मकर (Capricorn) राशि में प्रवेश करेंगे, तब खरमास समाप्त होगा। खरमास की अवधि में सूर्य की गति धीमी होती है, वहीं गुरु ग्रह भी कम प्रभावी होता है। इस कारण से मांगलिक कार्य नहीं किए जाते।

साधना का समय
पं. मिश्रा ने बताया कि आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए खरमास सबसे अच्छा माह है। सनातन धर्म में खरमास में कल्पवास का भी विधान है। इसलिए यह समय मंत्र जाप, वेद व स्वाध्याय और साधना का है। खरमास से लेकर 14 जनवरी को मकर संक्रांति तक सूर्यदेव की विशेष आराधना करना स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभप्रद मानी गई हैं।

पौष माह में श्रीकृष्ण व विष्णु की विशेष पूजा का विधान हैं। देवगुरु बृहस्पति के विशेष मंत्रों का भी जाप, खरमास में कथा श्रवण, सत्संग, भजन, पूजन व दान आदि आध्यात्मिक आयोजन इस दौरान जारी रहेंगे।

Published on:
11 Dec 2025 11:58 am
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