लॉर्ड्स में रोमांचक मुकाबले में भारत को 22 रनों से हार का सामना करना पड़ा। रवींद्र जडेजा की संघर्षपूर्ण पारी बेकार चली गई। आखिरी क्षणों में आक्रामकता की कमी ने भारत की जीत की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर भारत और इंग्लैंड के बीच तीसरे टेस्ट का आखिरी दिन ड्रामे से भरा रहा, लेकिन रविंद्र जडेजा की जुझारू पारी भारत को जीत तक नहीं पहुंचा सकी। 193 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम इंडिया कुल 170 रन बनाकर ढेर हो गई। लॉर्ड्स में जीत का सपना टूट गया और 22 रनों से भारत को हार झेलनी पड़ी। जडेजा 56 रन बनाकर क्रीज पर डटे थे, बड़े शॉट्स खेलने से चूक गए और हीरो बनते-बनते फैंस की नजर में विलेन बन गए। इस हार के साथ इंग्लैंड ने सीरीज में 2-1 की बढ़त ले ली।
शुरुआत में भारत ने चौथे दिन 58/4 से पारी शुरू की थी। जडेजा और केएल राहुल ने कुछ उम्मीद जगाई, लेकिन जोफ्रा आर्चर ने ऋषभ पंत को जल्दी आउट कर भारत की मुश्किलें बढ़ा दी। इसके बाद जडेजा ने पहले जसप्रीत बुमराह के साथ मिलकर भारत की जीत की उम्मीद जगाई। बुमराह के आउट होने के बाद भी जडेजा ने हार नहीं मानी और सिराज के साथ अंग्रेजों से लड़ते रहे। जडेजा ने 153 गेंदों में 56 रन बनाए। जब भारत का आखिरी जोड़ी क्रीज पर थी तो उम्मीद थी कि जडेजा अपनी आक्रामक शैली दिखाएंगे, जैसे उन्होंने 2018 में ओवल में 86* रन बनाकर किया था, लेकिन इस बार वे रक्षात्मक रुख अपनाते दिखे।
आखिरी क्षणों में भारत को 23 रन चाहिए थे और जडेजा पर दबाव था। पारी के 75वें ओवर में शोएब बशीर की गेंद को सिराज ने खेला, गेंद ओवरस्पिन हुई और सिराज के बैट से लगने के बाद स्टंप्स पर जा लगी और बेल्स गिर गए। इस विकेट के साथ न सिर्फ सिराज आउट हुए, बल्कि टीम इंडिया की जीत की उम्मीदें टूट गईं। जडेजा दूसरी छोर पर नाबाद रहे और एक बार फिर भारत को जीत की दहलीज पर पहुंचाकर जीत नहीं दिला सके।
फैंस सोशल मीडिया पर निराशा जता रहे हैं। एक फैन ने लिखा, "जडेजा अगर दो-तीन छक्के मारते, तो भारत जीत जाता। हीरो बनने का मौका था, लेकिन वे डिफेंसिव हो गए।" दूसरी ओर, कुछ ने जडेजा का बचाव करते हुए कहा कि ऊपरी क्रम की नाकामी ने भारत को बैकफुट पर ला दिया था। भारत की जीत की भविष्यवाणी करने वाले पूर्व क्रिकेटर वरुण आरोन ने कहा, "जडेजा ने अकेले लड़ाई की, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में जीत के लिए पूरी टीम का योगदान चाहिए।"