सिडनी में खेला जाने वाला यह मैच पिंक टेस्ट होगा। ऐसे में आइए जानते हैं कि बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के आखिरी मैच को पिंक टेस्ट क्यों कहा जा रहा है और इसकी शुरुआत कैसे हुई थी।
India vs Australia Pink Test: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जा रही पांच टेस्ट मैचों की बार्डर गावस्कर ट्रॉफी (BGT) का आखिरी मुक़ाबला 3 जनवरी से खेला जाएगा। सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (SCG) में खेले जाने वाला यह मैच भारत के लिए 'करो या मरो' मुक़ाबला होगा। भारत इस सीरीज में दो मुक़ाबले हार चुका है और 2-1 से पीछे चल रहा है। ऐसे में अगर वह सिडनी टेस्ट भी हार जाता है या यह टेस्ट ड्रा हो जाता है तो ऑस्ट्रेलिया 10 साल बाद बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी अपने नाम कर लेगा।
सिडनी टेस्ट में हार मतलब भारत वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) के फ़ाइनल से भी बाहर हो जाएगा और ऑस्ट्रेलिया दक्षिण अफ्रीका के साथ इसमें जगह बना लेगा। सिडनी में खेला जाने वाला यह मैच पिंक टेस्ट होगा। ऐसे में आइए जानते हैं कि बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के आखिरी मैच को पिंक टेस्ट क्यों कहा जा रहा है और इसकी शुरुआत कैसे हुई थी।
क्या है पिंक टेस्ट -
पिंक टेस्ट की शुरुआत 2009 में हुई थी। ऑस्ट्रेलिया साल का पहला टेस्ट पिंक टेस्ट के रूप में खेलता है। यह टेस्ट लाल गेंद से ही खेला जाता है। इस टेस्ट को मैक्ग्रा की पत्नी जेन मैक्ग्रा की याद में खेला जाता है, जिनकी 2008 में ब्रेस्ट कैंसर से मौत हो गई थी। पिंक टेस्ट के दौरान पूरा स्टेडियम गुलाबी रंग से सराबोर रहता है। स्टैंड, स्टाफ और खिलाड़ियों की जर्सी सभी पर गुलाबी रंग की झलक दिखती है। ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी खास तौर पर गुलाबी रंग की टोपी पहनते हैं और जर्सी पर उनके नाम और नंबर भी गुलाबी रंग से लिखे होते हैं।
टिकट का पैसा मैक्ग्रा फाउंडेशन को जाता है -
ग्लेन मैकग्राथ ने जेन की याद में मैक्ग्रा फाउंडेशन की स्थापना की है। जो ब्रेस्ट कैंसर के रोगियों और उनके परिवारों की सहायता करता है। पिंक टेस्ट का उद्देश्य ब्रेस्ट कैंसर के बारे में जागरूकता और फंड जुटाना है। इस मैच की टिकट का पैसा
चैरिटी के रूप में मैक्ग्रा फाउंडेशन को जाता है।