MP News: दमोह नगर पालिका ने जिस संस्था पर दस्तावेज़ों की कमी से रोक लगाई थी, अब उसी को फिर से काम सौंप दिया। मान्यता और सर्टिफिकेट के बिना एजेंसी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे।
Dog Sterilization Controversy:दमोह शहर के कुत्तों को पकड़कर नसबंदी कराने का काम जिस संस्था को दिया गया है, वह अब फिर विवादों में हैं। जिस संस्था को काम दिया गया है, उसके पास दमोह में काम करने का रजिस्ट्रेशन और एबीसी सर्टिफिकेट तक नहीं है। खास बात यह है कि नगरपालिका ने ६ माह पहले इसी संस्था के काम पर रोक लगाते हुए इन्हीं दस्तावेजों के न होने का हवाला दिया था और अब सीएमओ बदलते ही उसी संस्था को काम दे दिया गया है। (mp news)
पत्रिका ने जब मामले में पड़ताल की तो पता चलता है कि जबलपुर की मां बगलामुखी सेवा समिति (Maa Baglamukhi Seva Samiti) के पास भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड द्वारा 2023 में मान्यता प्रमाण पत्र जारी किया गया है। जिसमें स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि यह एबीसी प्रोग्राम के लिए नहीं है। इतना ही नहीं यह मान्यता जबलपुर जिले के लिए है। दमोह जिले में कार्य करने के लिए संस्था के पास कोई मान्यता नहीं है। (mp news)
पड़ताल में स्पष्ट हुआ है कि जनवरी 2024 में नगरपालिका द्वारा जारी किए गए टेंडर में भी इस संस्था का चयन हुआ था और इसके वर्क ऑर्डर भी जारी कर दिया था, लेकिन बिना एबीसी सेंटर बनाए संस्था ने शहर के कुत्तों को गायब करना शुरु कर दिया था। साथ ही उन्हें मारने का आरोप भी तब लगा था।
विवादों में आने के बाद नगरपालिका ने ही इस संस्था के कार्य पर मार्च में रोक लगाई थी, जिसमें दमोह में कार्य करने का रजिस्ट्रेशन नहीं होना और एबीसी सर्टिफिकेट नहीं होना कारण बताया गया था। साथ ही दो आपत्तियां भी उक्त संस्था के विरुद्ध आई थी। इसके बाद टेंडर ठंडे बस्ते में चला गया था। (mp news)
नगरपालिका को इस प्रकरण में नए तरीके से कार्रवाई बढ़ाना था, लेकिन सीएमओ बदलने के बाद एचओ और सीएमओ ने उक्त संस्था के दस्तावेजों की जांच किए बिना ही उसे वर्क ऑर्डर जारी कर दिया गया, जबकि उक्त संस्था के पास अब तक उक्त दस्तावेज नहीं है, जिनके आधार पर उनके कार्यों पर तत्कालीन सीएमओ ने रोक लगा दी थी। दस्तावेजों की कमी होने के बाद भी सीएमओ और एचओ ने गंभीर अनियमितता करते हुए उसे काम दे दिया है। इतना ही नहीं टेंडर की नियम शर्तों को भी गाइडलाइन के अनुसार न देकर अपने अनुसार देने के भी आरोप है। ऐसे में एजेंसी की कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। (mp news)
पत्रिका ने जब इस संबंध में अलग-अलग माध्यमों से यह पता करना चाहा कि नगरपालिका को प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों में किन पशु चिकित्सकों द्वारा कुत्तों की नसबंदी की जा रही है, कि जानकारी चाही गई तो कोई भी यह जानकारी देने से बचता नजर आया। सीएमओ राजेंद्र सिंह लोधी, एचओ जितेंद्र पटेल को यह पता नहीं है। इसके अलावा एजेंसी के उपाध्यक्ष पंकज शर्मा कॉल नहीं ले रहे हैं। एबीसी सेंटर पर डॉक्टर का पंजीयन और नाम चस्पा नहीं किया गया है। कर्मचारियों को भी इसकी जानकारी नहीं है।
मामले में सीएमओ राजेंद्र सिंह लोधी का कहना है कि एजेंसी की फाइल महीनों से पेंडिंग पड़ी थी। आदेश आए तो वर्क ऑर्डर कर दिया गया। दस्तावेजों को एचओ ने रीचेक किया है। दमोह में कार्य करने का पंजीयन नहीं है, यह बात सही है। एजेंसी को निर्देश दिए गए हैं कि यह कार्य कराएं। इसके अलावा एबीसी प्रोग्राम के लिए मान्यता नहीं है, ये दस्तावेज भी रीचेक करा लेते हैं। डॉक्टर कौन है, जितने कुत्तों की नसबंदी हो रही हैं, उनकी पहचान कैसे होगी, उसका टैग लगवाने की भी तैयारी है। व्यवस्थाओं में सुधार कर रहे हैं। इधर, प्रकरण में संबंध में संस्था का पक्ष लेने पंकज शर्मा उपाध्यक्ष समिति को अनेक बार कॉल किए गए, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। (mp news)