सर्प काटने की घटना के बाद झांड़ फूंक के चक्कर में बिल्कुल नहीं पड़ें, अधिकांश मौतें इधर-उधर भटकने के चलते देरी होने से ही होती है।
दौसा/लालसोट। बारिश का दौर शुरू होने के साथ ही सर्पदंश की घटनाएं सामने आने लगी हैं। बीते चौबीस घंटे में क्षेत्र में सर्पदंश से दो महिलाओं की मौत हो गई है। ये घटनाएं झापंदा थाना क्षेत्र के महाराजपुरा ग्राम पंचायत के गांव राजपुरा एवं लालसोट थाना क्षेत्र के डिगो गांव की बैरवा ढाणी में हुई।
झापंदा थाना पुलिस ने बताया कि शुक्रवार को प्रेमदेवी पत्नी जगदीश मीना खेत में काम कर रही थी। इस दौरान उसे सर्प ने डस लिया, जिसे उपचार के लिए लालसोट जिला चिकित्सालय लाया गया। जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
वहीं दूसरी घटना के संबंध में लालसोट थाने में प्राथमिकी देकर डिगो निवासी भागचंद बैरवा पुत्र रेवड़मल बैरवा ने बताया है कि उसकी पत्नी शिमला देवी शुक्रवार को खेत में काम रही थी। इस दौरान उसे काले सर्प ने डस लिया, जिसके बाद लालसोट जिला हॉस्पिटल लेकर गए। जहां चिकित्सकों ने मृत बताया। झापंदा व लालसोट पुलिस ने दोनों महिलाओं के शव को पोटमार्टम के बाद परिजनों को सुपुर्द कर दिया।
बरसात के मौसम में सांप-बिच्छू का डर अधिक रहता है। ये इस मौसम में बिल से बाहर निकल आते हैं, इसलिए बचकर रहना जरूरी है। हर साल कई लोगों की जान भी चली जाती है। कई बार खेत में काम करते समय या ईंधन के लिए लकड़ियां एकत्र करने के दौरान सर्प दंश की घटनाएं हो जाती हैं। सर्पदंश के समय कुछ बातों को याद रखने से किसी की भी जान बचाई जा सकती है। इसको लेकर जागरूक होना बेहद जरूरी है।
सर्प काटने की घटना के बाद झांड़ फूंक के चक्कर में बिल्कुल नहीं पड़ें, अधिकांश मौतें इधर-उधर भटकने के चलते देरी होने से ही होती है। सबसे पहले मरीज को तत्काल नजदीकी सरकारी हॉस्पिटल पहुंचाएं। सीएचसी स्तर पर एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन उपलब्ध रहता है। चिकित्सक की परामर्श के अनुसार उपचार लें। सर्प दंश के बाद तत्काल उपचार से मरीज की जान बच सकती है।
(डॉ. राजकुमार सेहरा, पीएमओ, राजकीय जिला हॉस्पिटल,लालसोट)
1.शांत रहें और पीड़ित व्यक्ति को आश्वस्त करें।
2.सांप से धीरे-धीरे दूर हटें।
3.घाव वाले एरिया (या काटने के निशान) को खुला छोड़ दें।
4.प्रभावित क्षेत्र से जूते, बेल्ट, अंगूठी, घड़ी, आभूषण या तंग कपड़े हटा दें।
5.रोगी को बाईं ओर पेट के बल लेटा दें, दाहिना पैर मोड़ें और हाथ से चेहरे को सहारा दें।
6.चिकित्सा उपचार के लिए निकटतम स्वास्थ्य सुविधा केंद्र पर जाएं।
1.पीड़ित को अत्याधिक थकावट या घबराहट का शिकार न बनने दें।
2.सांप पर हमला न करें या ना ही उसे मारें।
3.घाव पर घरेलू उपचार आदि ना करें।
4.रक्त संचार को रोकने के लिए प्रभावित क्षेत्र को न बांधें।
5.रोगी को उसकी पीठ के बल न लिटाएं।
6.पारंपरिक तरीकों या किसी भी असुरक्षित उपचार का उपयोग न करें।