दौसा

Rajasthan: एशिया के सबसे बड़े कच्चे बांध से नहरों में छोड़ा पानी, पहली बार ऐसा नजारा देख किसानों में दौड़ी खुशी की लहर

Morel Dam: इस बार मोरेल बांध में पर्याप्त होने से सवाई माधोपुर व दौसा जिले के 83 गांवों में पूरे कमांड क्षेत्र यानी लगभग 19 हजार हैक्टेयर भूमि में 75 दिनों तक किसानों को पानी उपलब्ध रहेगा।

2 min read
Nov 16, 2024

Dausa News: कांकरिया ग्राम पंचायत में मोरेल नदी पर बने एशिया के सबसे बड़े कच्चे बांध मोरेल बांध की दोनों नहरों में शुक्रवार को पानी छोड़ा गया। बांध की पूर्वी नहर व मुख्य नहर से पानी छोड़ने से पूर्व जल संसाधन विभाग के अभियंताओं ने बांध की मोरी के वॉल्व की विधिवत पूजा अर्चना की। इसके बाद अभियंताओं ने नहरों वॉल्व की चाबी को घुमाकर नहरों में पानी छोड़े जाने की शुरुआत की। नहरों में पानी का बहाव होता देख ग्रामीणों में किसानों के चेहरों पर खुशी की लहर भी देखी गई। इस दौरान बड़ी संख्या में कृषक महिला पुरुष भी मौजूद रहे।

नहरों में पानी आता देख उसके आसपास बसे गांवों के किसान नहर से पानी अपने खेत तक पहुंचाने के प्रयासों में जुटे दिखाई दिए। जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता चेतराम मीना एवं कनिष्ठ अभियंता अंकित मीना ने बांध की पाल पर मौजूद पीर बाबा की मजार पर पहुंच कर पूजा-अर्चना की और मजार पर फूल भी चढाए। नहरों में पानी छोड़े जाने के बाद ग्रामीणों को गुड़ का वितरण करते हुए मुंह भी मीठा कराया गया। इस मौके पर जल उपभौक्ता संगम कल्यापुरा के अध्यक्ष मुनीराम मीना एवं बेरखण्डी के अध्यक्ष नानजीराम मीना, समेत कई किसान भी मौजूद रहे।

19 हजार हैक्टेयर भूमि में 75 दिनों तक होगी सिंचाई

इस बार मोरेल बांध में पर्याप्त होने से सवाई माधोपुर व दौसा जिले के 83 गांवों में पूरे कमांड क्षेत्र यानी लगभग 19 हजार हैक्टेयर भूमि में 75 दिनों तक किसानों को पानी उपलब्ध रहेगा। ऐसा पहली बार हुआ है कि मोरेल बांध से नहरों में पानी छोड़े जाने के दिन भी चादर चल रही है। सहायक अभियंता चेतराम मीना ने बताया कि 211 एमसीएफटी डेड स्टोरेज घटाकर शेष 2496 एमसीएफटी पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध रहेगा। जिससे कुल सिंचित क्षेत्र 19 हजार 383 हैक्टेयर क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में सिंचाई हो सकेगी।

किसानों ने कहा : बुवाई का कार्य पूर्ण

मोरेल बांध से नहरों में पानी छोडऩे से खुश कल्याणपुरा, कानलोंदा समेत कई गांवों के किसानों ने बताया कि बुवाई का कार्य पूरा हो चुका है, ऐसे में फिलहाल रबी फसल को पानी की जरुरत है। पानी की कमी कारण दम तोड़ती रबी फसलों को अब जीवनदान मिल सकेगा और यह पानी फसल के लिए अमृत साबित होगा।

Also Read
View All

अगली खबर