देवभूमि में आए दिन हेलीकाप्टर दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। 4 दिन पहले ही एक हेलीकाप्टर दुर्घटना का शिकार हुआ था। हलांकि उसमें किसी भी प्रकार की क्षति नहीं हुई थी। ड्राइवर की सूझबूझ के चलते सभी यात्री सुरक्षित थे।
देवभूमि में आए दिन हेलीकाप्टर दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। 4 दिन पहले ही एक हेलीकाप्टर दुर्घटना का शिकार हुआ था। हलांकि उसमें किसी भी प्रकार की क्षति नहीं हुई थी। ड्राइवर की सूझबूझ के चलते सभी यात्री सुरक्षित थे। इन घटनाओं को बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित देवताओं की नाराजगी का परिणाम बता रह हैं। पुरोहितों का कहना है कि हेलीकाप्टरों को जिस तरह धामों के ऊपर से उड़ाया जा रहा है। यह किसी अनिष्ट का संकेत है। इस पर सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। इसके साथ ही तीर्थ पुरोहितों का यह भी कहना है कि जिस प्रकार हेलीकाप्टर ताबड़तोड़ आवाजाही कर रहे हैं, उससे उनके मेंटीनेंस के साथ संचालन में भी लापरवाही सोचनीय विषय है।
पुरोहितों का कहना है कि देवभूमि तपस्या और साधना के लिए जानी जाती है। यहां आप किसी भी तरह की लग्जरी सुविधाओं का उपयोग नहीं कर सकते हैं। देवभूमि में आना है तो एक साधक के रूप में आइए। यहां की शांत वादियों में हेलीकाप्टर का शोर व्यवधान पैदा कर रहा है, जिससे देवता खुश नहीं है। जिस प्रकार हेलीकाप्टर दिनभर यहां आवाजाही कर रहे हैं, उससे इनको मरम्मत को लेकर भी लापरवाही हो रही है। यह भी हेली दुर्घटना का कारण हो सकता है, लिहाजा इसकी जांच की जानी चाहिए।
उत्तराखंड चारधाम तीर्थपुरोहित महापंचायत के महासचिव डा. बृजेश सती ने कहा कि बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के दिन जिस प्रकार बदरीनाथ मंदिर के ऊपर पुष्प वर्षा के नाम पर हेलीकाप्टर घुमाया गया, वह आस्था के साथ खिलवाड़ था। इसका विरोध किया जाना जरूरी है।
नदियों की स्वच्छता के लिए केंद्र व राज्य की सरकारें भले प्रयासरत हों, लेकिन आमजन अपनी जिम्मेदारी को लेकर उतने गंभीर नहीं हैं। लोग यहां आकर अपने कपड़े गंगोत्री और यमनोत्री में बहा दे रहे हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में गंगा व यमुना नदी में तीर्थ यात्रियों की बहाई गंदगी का अंबार लगा है। आस्था और परंपरा के नाम पर तीर्थयात्री नए-पुराने कपड़े व श्रृंगार सामग्री इन नदियों में प्रवाहित कर रहे हैं या फिर घाटों के किनारे छोड़ रहे हैं।
गंगोत्री धाम में ऐसा करने पर अर्थदंड के चेतावनी बोर्ड जरूर लगाए गए हैं, लेकिन तीर्थ यात्रियों पर उनका असर नहीं हो रहा। उत्तराखंड के चार में से दो धाम उत्तरकाशी में हैं और देश की दो बड़ी नदियों गंगा व यमुना का उदम भी यहीं से होता है।