देहरादून

हाईकोर्ट पहुंची जागेश्वर मंदिर समिति की अव्यवस्थाएं, कई गंभीर बिंदुओं के साथ PIL दाखिल

High Court News:जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति में व्याप्त अव्यवस्थाओं को दूर करने से संबंधित जनहित याचिका (पीआईएल) नैनीताल हाईकोर्ट में आज दाखिल हुई है। जागेश्वर मंदिर समिति का सीएजी ऑडिट, आरटीआई, कार्यक्षेत्र सहित तमाम बिंदु इस पीआईएल में शामिल किए गए हैं। याचिका में उत्तराखंड सरकार, डीएम अल्मोड़ा, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, एएसआई के निदेशक और मुख्य पुजारी को पक्षकार बनाया गया है।

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Dec 18, 2025
जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति के मामले में हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल हुई है

High Court News:जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति का गठन नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर 2013 में हुआ था। हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति का गठन किया था, ताकि इसमें पारदर्शिता लाई जा सके। पांच सदस्यीय समिति के पदेन चेयरमैन जिलाधिकारी अल्मोड़ा होते हैं। साथ ही क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी भी इस संस्था में एक सदस्य होते हैं। समिति में उपाध्यक्ष (अवैतनिक) और प्रबंधक (वैतनिक) का चयन राज्यपाल करते हैं। पंजीकृत पुजारी मतदान के जरिए पुजारी प्रतिनिधि का चयन करते हैं। उपाध्यक्ष, प्रबंधक और पुजारी प्रतिनिधि का कार्यकाल तीन साल निर्धारित होता है। मंदिर प्रबंधन समिति में प्रबंधक का पद करीब 15 माह से खाली चल रहा है। साथ ही उपाध्यक्ष का पद भी करीब चार माह से रिक्त चल रहा है। इसके अलावा पुजारी प्रतिनिधि का कार्यकाल भी पूरा हो चुका है। मंदिर समिति में राजनैतिक दखल के आरोप भी समय-समय पर लगते रहते हैं। इसके अलावा बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास होने के बाद भी मंदिर समिति सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे में अब तक नहीं आ पाई है। जिला प्रशासन भी सरकारी स्तर से इस समिति से संबंधित आईटीआई नहीं दे रहा है। इसी को लेकर आज एक पीआईएल हाईकोर्ट की डिवीजन ब्रांच में दाखिल हुई है। ये पीआईएल अधिवक्ता विनोद तिवारी, प्रभाकर जोशी और रक्षित जोशी के माध्यम से दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता वरिष्ठ पत्रकार रमेश जोशी निवासी दन्या हैं।

10 साल से नहीं हुआ सीएजी ऑडिट

हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को आदेश दिए थे कि जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति का हर साल ऑडिट नियंत्रक एवंमहालेखा परीक्षक(सीएजी ) से कराएं। करीब 10 साल बीतने के बाद भी इस समिति का सीएजी ऑडिट नहीं हो पाया है। प्रबंधक तीन साल का कार्यकाल पूरा होने पर अपने स्तर से सीए का चयन कर उन्हीं से ऑडिट कराते आए हैं। मंदिर समिति में कई ऐसे प्रस्ताव भी पास हुए हैं, जिनमें पांच सदस्यीय समिति से सहमति नहीं ली गई है। यहां केवल दो सदस्यों के हस्ताक्षरों से भी प्रस्ताव पास हुए हैं। समिति में उपाध्यक्ष के अधिकार भी नियम विरूद्ध तरीके से सरकारी अफसरों को सौंप दिए गए थे। इसी के चलते लोग अब उपाध्यक्ष पद पर आवेदन को दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।

सरकारी मोड पर चल रही समिति

जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति में चुने हुए तीनों सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो चुका है। पांच अक्तूबर 2024 से प्रबंधक के स्थान पर प्रशासक की नियुक्ति चल रही है। चार माह से उपाध्यक्ष की कुर्सी खाली चल रही है। इसी माह पांच दिसंबर को पुजारी प्रतिनिधि का भी कार्यकाल पूरा हो गया था। मौजूदा समय में ये संस्था पूर्ण रूप से सरकारी मोड पर संचालित हो रही है। इसके कारण केवल कर्मचारियों की सेलरी, बिजली बिल और पुजारियों के अंशदान का वितरण आदि सीमित कार्य ही मंदिर समिति कर रही है। अन्य नए कार्यों पर ब्रेक लगा हुआ है।

Updated on:
18 Dec 2025 06:09 pm
Published on:
18 Dec 2025 04:31 pm
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