Akshaya Navami 2024 : कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि आंवला नवमी के नाम से जानी जाती है। आइए जानते हैं अक्षय नवमी को क्यों कहते हैं आंवला नवमी
Akshaya Navami 2024 : कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि को अक्षय नवमी कहा जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु, शंकरजी की पूजा की जाती है। इस तिथि को आंवला नवमी के नाम से भी जानते हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है इसे क्यों कहते हैं आंवला नवमी, जानिए पूरी कथा ...
आंवला नवमी पर आंवले के पेड़ और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता है कि आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का निवास होता है। इससे अक्षय नवमी पर आंवले के पेड़ के नीचे भगवान का ध्यान करने से अक्षय पुण्यफल मिलता है और जगत के पालनहार प्रसन्न होकर सब मनोकामना पूर्ण करते हैं। इसको लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। आइये जानते हैं अक्षय नवमी की कथा (akshaya navami katha)
धार्मिक कथा के अनुसार, एक बार मां लक्ष्मी धरती पर निवास करने के लिए आईं। इस दौरान लक्ष्मी जी को भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करनी की इच्छा हुई। लेकिन दोनों की एक साथ पूजा करने के लिए उनको कोई उचित उपाय नहीं सूझ रहा था। क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय मानी जाती है तो शंकरजी को बेलपत्र पसंद है। ऐसे में मां लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक मानकर अक्षय नवमी तिथि पर आंवले के वृक्ष की पूजा की। पूजा से प्रसन्न होकर विष्णुजी और शिवजी प्रकट हुए। लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर भगवान विष्णु और शिव को भोजन कराया। इसके बाद स्वयं भोजन किया। इस दिन कार्तिक शुक्ल नवमी थी, तभी से आंवला पूजन की शुरुआत हुई।
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन आंवले के वृक्ष की आराधना करनी चाहिए। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन आंवले के पेड़ पर भगवान विष्णु, शिव जी और माता लक्ष्मी तीनों का वास रहता है। इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे खाना पका कर सबसे पहले भगवान विष्णु, भगवान शिव और मां लक्ष्मी को भोग लगाना चाहिए, इस भोग में आंवले का फल जरूर शामिल करें। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और श्रद्धा अनुसार उनको दान दें। मान्यता है कि ऐसा करने से धन-सम्पदा और सुख-शांति बढ़ती है। इसके बाद खुद भोजन करें और आंवले का सेवन करें।