Deepak Jalane Ke Niyam: हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले दीपक प्रज्वलित किया जाता है। लेकिन दीपक जलाने के कुछ नियम होते हैं। अगर हम इन नियमों का पालन नहीं करते हैं तो पूजा सफल नहीं मानी जाती है। जानिए इन खास नियमों के बारे में..
Deepak Jalane Ke Niyam: भारतीय संस्कृति में दीप जलाने की परंपरा सदियों से पुरानी है। इसका सनातन धर्म में एक अलग ही महत्व है। कोई भी पूजा बिना दीप जलाए पूरी नहीं मानी जाती। यहां तक कि हर घर में सुबह- शाम दीपक जलाए जाते हैं। जो कि भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिंदू धर्म दीप जलाने के नियम और महत्व ? आइए जानते हैं इसकी विधि और महत्व
धार्मिक ग्रंथों में दीपक को अग्नि का प्रतीक माना जाता है। जो अज्ञानता के अंधकार को दूर कर चारों ओर ज्ञान का प्रकाश फैलाता है। भारतीय शास्त्रों में कहा गया है कि अग्नि देवताओं के मुख के समान पूजनीय हैं। दीपक का प्रज्वलित होना ईश्वर की उपस्थिति का आभास कराता है और पूजा स्थल को पवित्र बनाने में मददगार सावित है। ऐसा माना जाता है दीपक जलाने से ध्यान केंद्रित होता है। जिससे भक्त ईश्वर के प्रति अपनी भक्ति को गहराई से व्यक्त कर पाते हैं। यह आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यता है कि दीपक का प्रकाश सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। जो जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि लाने का संकेत देता है।
हिंदू धर्म में अग्नि को बहुत पवित्र माना गया है। इसलिए अग्नि को देवता का स्थान दिया गया है। मान्यता है कि अग्नि देव को साक्षी मानकर उसकी मौजूदगी में किए काम सफल होते हैं। हिंदू धर्म में किसी भी देवी-देवता के पूजन के समय दीपक प्रज्वलित किया जाता है। मान्यता है कि घर में दीपक जलाने से घर की नकारात्मकता दूर होती है और घर में पॉजिटिव एनर्जी का आगमन होता है।
अगर पूजा के दौरान घी का दीपक पर जला रहे हैं तो उसे अपने बाईं तरफ रखना चाहिए और तेल का दीपक दाईं ओर रखना चाहिए। मान्यता है कि घी का दीपक देवी-देवताओं के लिए जलाया जाता है।
यदि जीवन में आर्थिक तंगी चल रही है तो इसके लिए माता रानी के सामने का घी का दीपक जलाएं। मान्यता है कि घी का दीपक जलाने से आर्थिक तंगी दूर होती है।
दीपक जलाने से पहले उसको अच्छी तरह से जांच लें कि दीपक खंडित तो नहीं है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खंडित दीपक जलाने से इंसान को जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
दीपक को घर की पूर्व दिशा में जलाना शुभ माना जाता है। लेकिन पितरों के नाम का दीपक दक्षिण दिशा में जलाना चाहिए। माना जाता है कि इस दिशा में दीपक जलाने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार घर के मुख्य द्वार पर शाम के समय दीपक प्रज्वलित करना चाहिए।
दीपक अज्ञान के अंधकार को दूर करता है और जीवन में प्रकाश एवं समृद्धि का मार्ग दिखाता है।
पूजा में दीपक जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में शांति का वातावरण बनता है।
यह भारतीय संस्कृति की गहरी जड़ों से जुड़ी परंपरा है, जो हमें धर्म और आध्यात्म के प्रति जागरूक करती है।
पूजा में दीपक जलाने का उचित समय सूर्योदय और सूर्यास्त के समय माना जाता है। इस समय वातावरण में ऊर्जा का संतुलन सबसे अधिक प्रभावी होता है। दीपक जलाने के लिए पीतल, तांबे या मिट्टी के दीपक का उपयोग किया जाता है। जिसमें खासतौर पर घी या तिल के तेल का प्रयोग किया जाता है।
दीपक केवल एक प्रतीक मात्र नहीं है। यह आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जीवन को सकारात्मक दिशा देने का माध्यम है। पूजा में दीपक जलाने की परंपरा हमें आत्मिक शांति, भक्ति, और जीवन में ऊर्जा का अनुभव कराती है। दीपक का महत्व सनातान धर्म और भारतीय संस्कृति में अनमोल है। जो जीवन में उजाले का प्रतीक बनकर हमारे विश्वास को और मजबूत करता है।
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