Dhanu Sankranti 2025: साल 2025 की ये आखिरी संक्रांति तिथि होने वाली है। ऐसे में आइए हम यहां जानते हैं धनु संक्रांति कब है, इसका शुभ मुहूर्त क्या है इसके साथ ही इसके महत्व के बारे में। आइए यहां जानें ये सबकुछ हिंदी में।
Dhanu Sankranti 2025: साल 2025 की ये आखिरी संक्रांति तिथि होने वाली है। ऐसे में आइए हम यहां जानते हैं धनु संक्रांति कब है, इसका शुभ मुहूर्त क्या है इसके साथ ही इसके महत्व के बारे में।
Dhanu Sankranti 2025: हिंदू धर्म में संक्रांति तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। ये तिथि साल में 12 बार आती है। हर संक्रांति तिथि का बहुत ही खास महत्व होता है। संक्रांति तिथि वो तिथि होती है। जिस तिथि पर सूर्य अपनी राशि बदलते हैं। धनु संक्रांति साल की आखिरी संक्रांति तिथि होती है। धनु संक्रांति के दिन सूर्यदेव वृश्चिक राशि से निकलक धनु राशि में प्रवेश करते हैं। 1 महीने तक इस राशि में गोचर करने के बाद सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। धनु संक्रांति के दिन गंगा स्नान और सू्र्यदेव की पूजा का विधान है। इस दिन सुबह स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पित करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही सेहत का भी लाभ मिलता है। आइए जानते हैं इस साल धनु संक्रांति कब है और इसके महत्व के बारे में।
साल 2025 में धनु संक्रांति 16 दिसंबर 2025 को मनाई जाएगी। सूर्य देव 13 जनवरी 2026 तक धनु राशि में ही गोचर करेंगे। इस दौरान सूर्यदेव कई बार अपना नक्षत्र परिवर्तन कर सकते हैं। 16 दिसंबर को सूर्यदेव सुबह के 4 बजकर 26 मिनट धनु राशि में प्रवेश कर जाएंगे।
इस साल 16 दिसंबर 2025 को धनु संक्रांति की तिथि पड़ रही है। इस दिन पुण्य काल सुबह 07:09 बजे से दोपहर 12:23 बजे तक रहेना वाला है। वहीं इस दिन महापुण्य काल सुबह 07:09 बजे से सुबह 08:53 बजे तक रहेगा। इस दिन गंगा स्नान के लिए शुभ समय सुबह के 4 बजकर 27 मिनट पर रहेगा।
धनु संक्रांति का सांस्कृतिक और धार्मिक दोनों ही बहुत महत्व है। इस दिन सूर्य देव अपनी राशि बदलते हैं और मौसम में भी परिवर्तन आता है। धनु संक्रांति के बाद से सर्दी थोड़ी बढ़ जाती है। पितरों के श्राद्ध और तर्पण के लिए भी धनु संक्रांति की तिथि खास मानी जाती है। इस दिन पितरों का तर्पण करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है और पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। धनु संक्रांति के दिन सूर्य की उपासना करने से साधक की सारी मनोकामना पूरी होती है और अच्छी सेहत का भी वरदान प्राप्त होता है। इस दिन खाने में मीठी चीजों को बनाने की परंपरा है।