Tulsi Puja Ke Niyam: तुलसी का पौधा धार्मिक दृष्टी से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रिय माना जाता है। लेकिन इसके लिए भी कुछ ऐसी तिथि और दिन हैं जिस दिन इसको छूना या जल अर्पित करना अशुभ माना जाता है।
Tulsi Puja Ke Niyam: हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का धार्मिक दृष्टी से विशेष महत्व है। इस पौधे को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। यही कारण है कि यह पवित्र और पूजनीय पौधा है। हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे की हर घर में पूजा होती है। लेकिन ज्योतिष के अनुसार कुछ विशेष दिन या तिथि पर तुलसी को छूना भी पाप की दृष्टी में आता है। आइए जानते हैं।
धार्मिक ग्रंथों और परंपराओं के अनुसार तुलसी का पौधा भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है। इसलिए लोग जब भी तुलसी के पत्ते तोड़ते हैं तो सबसे पहले उसे दाएं हाथ से छूकर पूजते हैं। क्योंकि इसमें भगवान का वास होता है। लेकिन ज्योतिष के अनुसार ऐसा हर दिन नहीं कर सकते, जो करेगा उससे माता लक्ष्मी रूठ सकती हैं। इसलिए रविवार, एकादशी और ग्रहण के दिन इन्हें तोड़ने की मनाही है। इसके पीछे कई धार्मिक और आध्यात्मिक कारण भी बताए गए हैं।
सनातान धर्म में रविवार भगवान सूर्य देव का दिन माना जाता है। सूर्य देव और तुलसी माता के बीच पवित्र संबंध है। इस दिन तुलसी माता विश्राम करती हैं और तुलसी का उपयोग करने या उसके पत्ते तोड़ने से पाप माना जाता है। ऐसा करने से माता लक्ष्मी नाराज होती हैं वहीं सूर्य देव की कृपा बाधित होती है।
धार्मक मान्यताओं के अनुसार एकादशी तिथि को विष्णु भगवान की पूजा का विशेष दिन माना जाता है। इसके साथ ही भगवान विष्णु को माता तुलसी अत्यंत प्रिय हैं। इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ने से भगवान विष्णु की पूजा में बाधा मानी जाती है। यह दिन उपवास और भक्ति का होता है। यही कारण है कि इस दिन तुलसी को तोड़ना अशुभ माना जाता है।
सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण दोनों ही ग्रहणों में वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का अधिक प्रभाव रहता है। इस दौरान सभी पेड़-पौधे नकारात्मक संचार से प्रभावित होते हैं। धार्मिक शास्त्रों में माना गया है कि ग्रहण के दौरान तुलसी के पत्ते अशुद्ध हो सकते हैं। इसलिए इस दिन इन्हें तोड़ना वर्जित है।
धार्मिक मान्यता है कि तुलसी माता का अपमान करना हिंदू धर्म में महापाप है। इसलिए श्रद्धालुओं को इन विशेष दिनों पर तुलसी के पत्ते तोड़ने से बचना चाहिए, जो लोग इन नियमों का पालन करते हैं। उन पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं की भी कृपा बनी रहती है।
डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।