धर्म-कर्म

Janaki Jayanti 2025: कब है जानकी जयंती, जानें डेट और महात्म्य

Janaki Jayanti 2025: जानकी जयंती माता सीता के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। इस शुभ दिन पर विधिवत पूजा करने से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही जीवन के दुख दूर होते हैं।

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Feb 20, 2025
जानकी जयंती 2025

Janaki Jayanti 2025: जानकी जयंती जिसे सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। सनातन धर्म में देवी सीता को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि देवी सीता फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को धरती पर प्रकट हुई थीं। आइए जानते हैं डेट और इसका महात्म्य।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार देवी सीता का जन्म मिथिला के राजा जनक के यज्ञ भूमि से हुआ था। राजा जनक ने हल चलाते समय भूमि से एक कन्या को पाया, जिसे उन्होंने अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया और उनका नाम सीता रखा। इसलिए उन्हें जानकी जी को जनक की पुत्री और भूमिपुत्री भी कहा जाता है।

जानकी जयंती का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत है। इस दिन व्रत और पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है और संतान प्राप्ति की इच्छा पूर्ण होती है। देवी सीता नारी शक्ति, पवित्रता, त्याग और धैर्य की प्रतीक हैं, और उनकी पूजा से इन गुणों को आत्मसात करने की प्रेरणा मिलती है।

कब है जानकी जयंती

हिंदू पंचांग के अनुसार यह पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। साल 2025 में यह तिथि 20 फरवरी को सुबह 09 बजकर 58 मिनट से प्रारंभ होकर 21 फरवरी को सुबह 11 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार जानकी जयंती 21 फरवरी 2025 शुक्रवार को मनाई जाएगी।

इस विधि से करें पूजा

सूर्योदय से पूर्व पवित्र स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर के पूजा स्थल को साफ करें और देवी सीता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। रोली, चंदन, अक्षत, फूल, धूप, दीपक, मिठाई, फल और पंचामृत तैयार रखें।

दीप प्रज्वलित करें और कलश स्थापित करें। देवी सीता का ध्यान करते हुए ॐ जानकीवल्लभायै नमः मंत्र का 108 बार जाप करें। रामायण का पाठ करें, खासकर सीता से संबंधित अंशों का। अंत में आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

इस दिन व्रत रखने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि जानकी जयंती पर व्रत और पूजा करने से वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर होती हैं और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

देवी सीता के जीवन से हमें पवित्रता, धैर्य और निष्ठा की शिक्षा मिलती है। उनकी पूजा से हम अपने जीवन में इन गुणों को स्थापित कर सकते हैं और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकते हैं।

डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

Updated on:
20 Feb 2025 08:58 am
Published on:
20 Feb 2025 08:57 am
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