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Mokshada Ekadashi Vrat Katha : मोक्षदा एकादशी पर पढें यह कथा, होगी भगवान विष्णु की कृपा

Mokshada Ekadashi Vrat Katha: अगर आप भी चाहते हैं भगवान विष्णु की कृपा, तो मोक्षदा एकादशी पर पढ़ें यह कथा होगी संपूर्ण फल की प्राप्ति..

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Nov 19, 2024
Mokshada Ekadashi Vrat Katha

Mokshada Ekadashi Vrat Katha : मोक्षदा एकादशी के व्रत का हिंदू शास्त्रों में विशेष महत्व हैं। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा होती हैं, तो आइए जानते हैं मोक्षदा एकादशी की कथा के बारे में...

मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi)

हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाता है। सनातन शास्त्रों में कहा गया है कि मोक्षदा एकादशी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने अपने परम शिष्य अर्जुन को गीता ज्ञान दिया था। इसके साथ ही इस एकादशी पर गीता जयंती भी मनाई जाती है।

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा (Mokshada Ekadashi Vrat Katha)

एक बार की बात है गोकुल नाम के नगर में वैखानस नामक राजा राज्य करता था। उसके राज्य में वेदों के ज्ञाता ब्राह्मण रहा करते थे। वह राजा अपनी प्रजा का अच्छे से पालन करता था। एक बार रात में राजा ने सपने में देखा कि उनके पिता नरक में कष्ट भोग रहे हैं। जिससे उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ। राजा ने प्रात: अपने राज्य के विद्वान ब्राह्मणों को इस सपने के बारे में बताया और कहा- मैंने अपने पिता को नरक में कष्ट उठाते देखा है। पिता ने मुझसे कहा कि हे पुत्र मैं नरक में कष्ट भोग रहा हूं। यहां से मुझे मुक्त कराओ। जब से मैंने ये सपना देखा है तब से मेरे चित्त में बड़ी अशांति हो रही है। मुझे इस राज्य, धन, पुत्र, स्त्री, हाथी, घोड़े आदि में कुछ भी सुख प्रतीत नहीं होता।

राजा ने ब्राह्मण देवताओं से कहा कि इस दु:ख के कारण मेरा सारा शरीर जल रहा है। अब आप कृपा करके कोई उपाय बताइए जिससे मेरे पिता को मुक्ति मिल जाए। साथ में राजा ने कहा कि उस पुत्र का जीवन व्यर्थ है जो अपने माता-पिता का उद्धार न कर सके। एक उत्तम पुत्र जो अपने माता-पिता और पूर्वजों का उद्धार करता है, वह हजार मूर्ख पुत्रों से अच्छा है। ब्राह्मणों ने कहा- हे राजन! यहां पास ही भूत, भविष्य, वर्तमान के ज्ञाता पर्वत ऋषि का आश्रम है। आप उनके पास जाइए वह आपकी समस्या का हल जरूर निकाल लेंगे।

राजा मुनि आश्रम की तरफ चल दिए। वहां राजा की मुलाकात पर्वत मुनि से हुई। राजा ने मुनि को दंड़ दिया । मुनि ने राजा से उनकी कुशलता के बारे में पूछा। राजा ने कहा कि महाराज आपकी कृपा से मेरे राज्य में सब कुशल हैं, लेकिन मेरा मन बिल्कुल भी शांत नहीं है। ऐसा सुनकर पर्वत मुनि ने आंखें बंद की और भूत विचारने लगे। फिर बोले हे राजन! मैनें योग विघा से तुम्हारे पिता के कर्मो के बारे में जान लिया है। उन्होनें पूर्व जन्म में कामातुर होकर एक पत्नी को रति दी किंतु सौत के कहने पर दूसरे पत्नी को ऋतुदान मांगने पर भी नहीं दिया। उसी पाप के कारण उन्हेम नर्क में जाना पड़ा।

डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

Updated on:
25 Nov 2024 12:46 pm
Published on:
19 Nov 2024 02:52 pm
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