धर्म-कर्म

Premanand Maharaj: ऐसे संकेत मिले तो समझें कृष्ण की विशेष कृपा, प्रेमानंद महाराज ने बताया

Premanand Maharaj: प्रेमानंद महाराज के अनुसार, भगवत प्रेम ही जीवन का असली ध्येय है। जन्माष्टमी पर जानें प्रेम, भक्ति और सत्संग का महत्व।

2 min read
Aug 14, 2025
Premanand Maharaj (photo- freepik)

Premanand Maharaj: जन्माष्टमी का पर्व श्रीकृष्ण के प्रेम और भक्ति का प्रतीक है। इस पावन अवसर पर संत प्रेमानंद महाराज ने अपने प्रवचन में स्पष्ट किया कि यदि किसी ने प्रभु को प्राप्त किया है, तो वह केवल और केवल प्रेम के माध्यम से ही संभव हुआ है। मोक्ष से लेकर सर्वोच्च आनंद तक, सबका मूल आधार प्रेम है।

महाराज जी बताते हैं कि प्रेम कोई साधारण वस्तु नहीं है। यह अत्यंत दुर्लभ और मूल्यवान है। इसे पाने के लिए ‘मैं’ को समाप्त करना होता है। अहंकार, मन और इंद्रियों पर नियंत्रण पाना पड़ता है। संसार से अपनापन हटाकर, उसे एकमात्र आराध्य भगवान में केंद्रित करना ही सच्ची साधना है। जब साधक इस मार्ग पर चलता है, तो दिव्य आनंद अपने आप उसके जीवन में प्रकट होने लगता है।

ये भी पढ़ें

Premanand Maharaj Health Tips : प्रेमानंद महाराज ने बताए पेट साफ रखने के 5 आसान और असरदार उपाय

जन्माष्टमी पर प्रेमानंद महाराज का प्रसंग

वे उदाहरण देते हैं कि जैसे लोहा कई बार अग्नि में तपाकर, प्रहार और घिसाई के बाद धारदार अस्त्र बनता है, वैसे ही साधक को जीवन की कठिनाइयों, काम-क्रोध-लोभ-मोह जैसे आंतरिक शत्रुओं, सुख-दुख की परिक्षाओं से गुजरना पड़ता है। जब यह तपस्या पूर्ण होती है, तब हृदय में प्रेम का उदय होता है।

भगवान की छिपी कृपा को ऐसे पहचानें

प्रेमानंद महाराज चेतावनी देते हैं कि भगवत प्रेम पाने वाला व्यक्ति भोग-विलास या छोटी उपलब्धियों से संतुष्ट नहीं होता। जैसे अरबों की चाह रखने वाले को कुछ सौ रुपये देकर संतुष्ट नहीं किया जा सकता, वैसे ही प्रेम के साधक को पद, प्रतिष्ठा या योग-सिद्धियां आकर्षित नहीं करतीं। उनका लक्ष्य केवल और केवल प्रभु प्रेम होता है। वे यह भी बताते हैं कि प्रेम प्राप्ति के मार्ग पर बिना रसिक संतों के संग के, प्रेम का अंकुर भी नहीं फूटता। इसलिए सत्संग, नाम-जप और भगवत कथा के प्रति निरंतरता आवश्यक है। इस मार्ग में दृढ़ निश्चय, सहनशीलता और त्याग की भावना अनिवार्य है।

जन्माष्टमी पर सुनें कृष्ण की कृपा के संकेत

महाराज जी के अनुसार, प्रेम ऐसा सुख देता है जो ब्रह्मज्ञान या मोक्ष में भी नहीं मिलता। यह साकार भगवान के रूप में रस का अनुभव कराता है, जो सभी आध्यात्मिक उपलब्धियों से श्रेष्ठ है। इस जन्माष्टमी पर, जब सम्पूर्ण देश श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मना रहा है, प्रेमानंद महाराज का यह संदेश हमें याद दिलाता है कि सच्ची भक्ति केवल प्रेम से ही संभव है। लक्ष्य स्पष्ट हो, भोग, प्रतिष्ठा या केवल मोक्ष नहीं, बल्कि भगवत प्रेम। यही जीवन का वास्तविक ध्येय है।

ये भी पढ़ें

इन 11 सावधानियों से मिलता है जीवन का परम लाभ, मान लें प्रेमानंद महाराज की बात

Published on:
14 Aug 2025 05:40 pm
Also Read
View All

अगली खबर