Vijaya Ekadashi Shubh Yog: विजया एकादशी के शुभ दिन पर बन रहे शुभ योग में पूजा करने से एकदशी के दिन की महत्वता और अधिक बढ़ जाती है। इस शुभ योग में पूजा करन से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही जीवन से सभी दुख दूर होते हैं।
Vijaya Ekadashi Shubh Yog: हिंदू धर्म में विजया एकादशी का विशेष महत्व है। यह हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस शुभ दिन पर खासतौर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं विजया एकादशी पूजा विधि और शुभ योग के बारे में।
इस वर्ष की विजया एकादशी पर सिद्धि शुभ योग बन रहा है। जो व्रत और पूजा के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। विजया एकादशी के दिन सिद्ध योग का समय सुबह से लेकर 10 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगा। इसके बाद व्यातीपात योग का निर्माण होगा।
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी तिथि कहते हैं। इसबार विजया एकादशी की शुरुआत 23 फरवरी 2025 को दोपहर के 01 बजकर 55 मिनट पर शुरु होगी। वहीं अगले दिन 24 फरवरी दिन सोमवार को शाम के 01 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए 24 फरवरी सोमवार को विजया एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
विजया एकादशी व्रत के एक दिन पूर्व जातक दशमी तिथि की शाम को हल्का और सात्विक भोजन करें। एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करें और उसके बाद व्रत का संकल्प लें। घर के पूजा स्थान को स्वच्छ करें और वहां भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। इसके बाद पीला वस्त्र, गंगाजल, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, चंदन, तुलसी दल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) आदि एकत्रित करें।
भगवान गणेश का स्मरण करके पूजा आरंभ करें। भगवान विष्णु को गंगाजल से स्नान कराएं। चंदन, अक्षत, पुष्प, और तुलसी दल अर्पित करें। पंचामृत से भगवान का अभिषेक करें और फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं। धूप और दीप जलाकर भगवान की आरती करें। भगवान को नैवेद्य (भोग) अर्पित करें, जिसमें फल, मिष्ठान्न, और अन्य सात्विक पदार्थ शामिल हों। संभव हो तो रात्रि में जागरण करें और भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें।
व्रत के दौरान तामसिक भोजन, जैसे लहसुन, प्याज, मांसाहार, और मदिरा से परहेज करें। इसके साथ ही मन, वचन, और कर्म से पवित्रता बनाए रखें। जरूरतमंदों को दान करें और सेवा कार्यों में भाग लें।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार विजया एकादशी का व्रत रखने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और सभी कार्यों में सफलता मिलती है। कहा जाता है कि भगवान श्रीराम ने भी लंका पर विजय पाने के लिए इस व्रत का पालन किया था। इसके साथ ही विजया एकादशी का व्रत और पूजा विधि का पालन करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। जिससे जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है।
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