Vishwakarma Puja 2025: विश्वकर्मा पूजा 2025 भाद्रपद पूर्णिमा के दिन धूमधाम से मनाई जाएगी। जानें भगवान विश्वकर्मा की पूजा का महत्व, लाभ, श्रीविश्वकर्मा अष्टकम और स्तोत्र पाठ का महत्व।
Vishwakarma Puja 2025: विश्वकर्मा जयंती हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस पावन अवसर पर मंदिरों, कारखानों, कार्यस्थलों और सार्वजनिक स्थानों पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित कर श्रद्धा और भक्ति भाव से पूजा-अर्चना की जा रही है।
शास्त्रों में भगवान विश्वकर्मा को देवताओं के शिल्पकार और सृष्टि के प्रथम वास्तुकार माना गया हैं। उन्होंने ही इंद्रपुरी, द्वारका, हस्तिनापुर और स्वर्गलोक जैसे भव्य नगरों का निर्माण किया था। उन्हें ‘देव शिल्पी’ भी कहा जाता है। यही कारण है कि इस दिन कारीगर, इंजीनियर, आर्किटेक्ट, मशीनों से जुड़े लोग और व्यापारी विशेष रूप से भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं।
मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और करियर व कारोबार में प्रगति के नए रास्ते खुलते हैं। इस दिन विशेष रूप से मशीनों, औजारों और कार्यस्थलों की सफाई की जाती है और उनकी पूजा की जाती है। ऐसा करने से व्यापार में उन्नति होती है और कार्य में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
शास्त्रों के अनुसार, विश्वकर्मा पूजा के दिन भगवान की आराधना के साथ-साथ श्रीविश्वकर्मा अष्टकम और विश्वकर्मा स्तोत्र का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है। यह पाठ न केवल आत्मिक शांति देता है बल्कि व्यक्ति की प्रगति और समृद्धि के रास्ते खोलता है।