
Vishwakarma Puja 2025 (photo- grok ai)
Vishwakarma Puja 2025: सनातन धर्म में विश्वकर्मा पूजा का बहुत खास महत्व है। यह पर्व शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा जी को समर्पित होता है। इन्हें देवताओं का शिल्पकार और वास्तुकार माना जाता है। मान्यता है कि सम्पूर्ण सृष्टि की रचना भगवान विश्वकर्मा ने ही की थी। इसी कारण इस दिन शिल्पकार, कारीगर और तकनीक से जुड़े लोग अपने औज़ारों, मशीनों और कार्यस्थलों की पूजा करते हैं।
भारत के कई राज्यों जैसे बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि विश्वकर्मा जी की पूजा करने से सुख, समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है। उनकी कृपा से जीवन में तरक्की मिलती है और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
इस साल विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर 2025 को मनाई जाएगी। दरअसल, इस दिन कन्या संक्रांति पड़ रही है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 17 सितंबर की देर रात 01 बजकर 54 मिनट पर सूर्य देव सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। सनातन परंपरा में उदया तिथि को ही मान्य माना जाता है, इसलिए इस दिन पूजा की जाएगी।
वैदिक पंचांग के अनुसार कन्या संक्रांति पर पुण्य काल का समय सुबह 05:36 बजे से 11:44 बजे तक रहेगा। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 05:36 बजे से 07:39 बजे तक रहेगा। इस दौरान स्नान, ध्यान और दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ माना गया है।
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 17 सितंबर को रात 12:21 बजे से शुरू होकर रात 11:39 बजे तक रहेगी। श्रद्धालु इस दौरान अपनी सुविधा अनुसार स्नान-ध्यान कर भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
इस दिन कई मंगलकारी योग भी बन रहे हैं। कन्या संक्रांति और विश्वकर्मा पूजा के दिन शिव योग, परिघ योग और शिववास योग का संयोग रहेगा। मान्यता है कि इन योगों में पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
Updated on:
27 Aug 2025 03:12 pm
Published on:
27 Aug 2025 03:11 pm
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