डॉक्टर को भगवान का रूप कहते हैं। ईश्वर के बाद डॉक्टर ही ऐसे होते हैं जो इंसानों की ज़िंदगी बचाते हैं। सरमथुरा अस्पताल में तीन वर्षीय बच्ची आरुषि को डॉक्टरों ने नया जीवन दिया है। अस्पताल में किशोरी की पल्स फील नहीं होने के बाद सीपीआर देकर जिंदगी बचाई है। अस्पताल में उपचार होने के बाद अब किशोरी पूर्ण तरीके से स्वस्थ हैं।
dholpur. डॉक्टर को भगवान का रूप कहते हैं। ईश्वर के बाद डॉक्टर ही ऐसे होते हैं जो इंसानों की ज़िंदगी बचाते हैं। सरमथुरा अस्पताल में तीन वर्षीय बच्ची आरुषि को डॉक्टरों ने नया जीवन दिया है। अस्पताल में किशोरी की पल्स फील नहीं होने के बाद सीपीआर देकर जिंदगी बचाई है। अस्पताल में उपचार होने के बाद अब किशोरी पूर्ण तरीके से स्वस्थ हैं।
डॉ देवेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि तीन बर्षीय आरूषि पुत्री हरविलास निवासी धनेरा को अत्यंत नाजुक स्थिति में अस्पताल की आपातकालीन सेवा में भर्ती कराया गया था। बच्ची की नब्ज नहीं चल रही थी और दिल की धड़कनें भी बंद थी। बच्ची बर्न का शिकार थी और 40 प्रतिशत के आसपास तक जल चुकी थी और अत्यंत गंभीर थी। अस्पताल में डॉक्टर देवेन्द्र अग्रवाल ने किशोरी के जीवन को संकट में देखते हुए तुरंत मैडीकल टीम को एलर्ट करते हुए बच्ची का उपचार शुरू किया गया।नब्ज नही मिलने और दिल की धड़कन नही होने के बावजूद डॉक्टरों ने हार नहीं मानी और तत्काल कार्डियोपल्मोनरी रेससिटेशन (सीपीआर) की। डॉक्टरों की टीम की मेहनत से बच्ची की जान बचाई जा सकी। डॉ अग्रवाल ने बताया कि नर्सिंग ऑफिसर मूलचंद, हरग्यान, कासीराम और आशाराम ने अपने अनुभव और विज्ञान का पूरा उपयोग करते हुए बच्ची के जीवन को बचाने की पूरी कोशिश की। हालांकि किशोरी को भर्ती कर अस्पताल में उपचार किया गया। अब बच्ची सकुशल है। किशोरी के परिजनों ने बताया कि गरम दूध गिरने से आरुषि जल गई थी, जिसे गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया था। बच्ची को नया जीवन मिलने के बाद शहर में डॉक्टर देवेन्द्र अग्रवाल एवं नर्सिंग टीम की तारीफ की जा रही हैं।