Indian Students In Bangladesh: बांग्लादेश में राजनीतिक अशांति और भयावह माहौल के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि वहां अनुमानित 9000 छात्रों को लेकर भारतीय सरकार चिंतित है।
Indian Students In Bangladesh: बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर शुरू हुई हिंसा ने अब भयावह रूप ले लिया है। वहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना (अब पूर्व प्रधानमंत्री) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अभी भारत में शरण ले रखा है। बांग्लादेश में तख्तापलट हो चुका है। इन सब के बीच भारत सरकार की सबसे बड़ी परेशानी है कि कैसे बांग्लादेश से इंडियन स्टूडेट्स को सुरक्षित वापस लाया जाए। बता दें, इस वक्त करीब 19000 भारतीय नागरिक फंसे हुए हैं। इनमें से 9000 छात्र हैं।
एक आंकड़े के अनुसार, साल 2022 में लगभग 9308 भारतीय छात्र MBBS की पढ़ाई करने के लिए बांग्लादेश गए थे। हर साल छात्र बांग्लादेश जाते हैं और पढ़ाई पूरी करने के बाद वापस भारत लौटते हैं। खानपान, भारत से बांग्लादेश की दूरी, बांग्लादेश के मेडिकल कॉलेज की फीस, ये कुछ ऐसे कारक हैं जिस वजह से भारतीय स्टूडेंट्स बांग्लादेश जाना पसंद करते हैं। यहां भी भारत की तरह एमबीबीएस का कोर्स 5 साल का होता है और एक साल का इंटर्नशिप अनिवार्य है।
बांग्लादेश के मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस करने का खर्च 30 से 40 लाख रुपये के बीच आता है, जबकि भारत में यह फीस एक करोड़ तक पहुंच जाती है।
भारत से बांग्लादेश आना जाना भी आसान है। कोलकाता से ढाका की सीधी फ्लाइट रहती है, जिसका किराया 5000 रुपये के करीब आता है। वहीं बस और ट्रेन का भी विकल्प मौजूद है। बस और ट्रेन से आने जाने का खर्च करीब 1200-1500 रुपये तक आता है।
साथ ही बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय छात्रों (Indian Students) को खानपान की अधिक समस्या नहीं होती हैं। जानकारों के मुताबिक, बांग्लादेश का मुख्य भोजन मांस-मछली है। वहीं शाकाहारी भोजन की बात करें तो यहां दाल चावल आसानी से मिल जाता है। ऐसे में भारतीय स्टूडेंट्स के लिए अन्य देशों के मुकाबले बंग्लादेश का खानपान परेशानी का सबब नहीं है।
बांग्लादेश में राजनीतिक अशांति और भयावह माहौल के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि वहां अनुमानित 9000 छात्रों को लेकर भारतीय सरकार चिंतित है। उन्होंने लोकसभा में बताया कि जुलाई में अधिकांश: छात्र भारत लौट गए थे। विदेश मंत्री ने कहा, “हम अपने राजनयिक मिशनों के माध्यम से बांग्लादेश में भारतीय समुदाय के साथ निकट और निरंतर संपर्क में हैं। वहां अनुमानतः 19,000 भारतीय नागरिक हैं, जिनमें से लगभग 9000 छात्र हैं। अधिकांश छात्र जुलाई में लौट आए।”