पिछले कुछ सालों में टेक्नोलॉजी में काफी तरक्की हुई है और इसके प्रभाव को कम कर नहीं आंका जा सकता, खास तौर पर शिक्षा के क्षेत्र में।
पिछले कुछ सालों में टेक्नोलॉजी में काफी तरक्की हुई है और इसके प्रभाव को कम कर नहीं आंका जा सकता, खास तौर पर शिक्षा के क्षेत्र में। आज के दौर में हर किसी के लिए शिक्षा हासिल करना जरूरी है, लेकिन ग्रामीण इलाकों के लिए यह अब भी चुनौती बनी हुई है, जहां इंटरैक्टिव लर्निंग की सीमित पहुंच है। हालांकि, वॉयस टेक्नोलॉजी के उभार के साथ ही अब ऐसे नए अवसर पैदा हो गए हैं, जिनमें देश के वंचित क्षेत्रों में शिक्षा प्रदान करने के तरीके में क्रांति लाने की क्षमता है। बहुत से लोगों को अभी भी वॉयस असिस्टेंट के बारे में पता नहीं हैं या यह नहीं जानते कि रोजमर्रा के जीवन में कैसे इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इस अंतर को पाटने के लिए लोगों को वॉयस टेक्नोलॉजी के लाभ, शिक्षा के क्षेत्र में इसके फायदे के बारे में शिक्षित करने के लिए नवोन्मेशी पहल की जा रही हैं। ऐसी टेक्नोलॉजी की पहुंच बढ़ाकर, पठन-पाठन के परिणाम और समग्र अनुभव को बढ़ाकर आकांक्षी जिलों में शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।
वॉयस असिस्टेंट से पढ़ाई अधिक इंटरैक्टिव
नागालैंड के कुछ सरकारी स्कूलों में एलेक्सा-एनेबल्ड इको स्मार्ट स्पीकर का उपयोग किया जा रहा हैं। पाठ्यक्रम में एलेक्सा को शामिल करने से बच्चों को अपनी जिज्ञासा को दूर करने और स्वतंत्र रूप से सवाल पूछने में मदद मिल रही है। इससे शिक्षा की प्रक्रिया और अधिक संवादपरक और रोमांचक बना रही है। शिक्षक कक्षा में वॉयस असिस्टेंट के जरिये पढ़ाई को छात्रों के लिए अपेक्षाकृत अधिक इंटरैक्टिव और आकर्षक बना सकते हैं। शिक्षकों के अनुसार, शिक्षा के क्षेत्र में वॉयस असिस्टेंस को पेश करने से छात्रों की उपस्थिति और विषयों में उनकी रुचि बढ़ती है, जिससे वे पढ़ाई के लिए अधिक उत्साह पैदा होता है। इसके अतिरिक्त, यह व्यक्तिगत जरूरत के अनुरूप पढ़ाई करने में मदद कर सकता है, जिससे छात्रों को अपनी गति से पढ़ने में मदद मिल सकती है। हमारे देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्मार्टफोन और इंटरनेट की पहुंच के तेजी से विकास के कारण, अब ग्रामीण क्षेत्रों में वॉयस टेक्नोलॉजी से जुड़े बहुत से अवसर खुल गए हैं।
स्थानीय भाषा में भी वॉयस टेक्नोलॉजी से संवाद
जो छात्र हिंदी बोलना पसंद करते हैं, वे अपनी भाषा में भी वॉयस टेक्नोलॉजी से संवाद कर सकते हैं, जिससे पढ़ाई अधिक समावेशी और सहज हो जाता है। इसका उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल अंतर को पाटने के लिए भी किया जा सकता है, जो उन लोगों के लिए पढ़ाई का एक वैकल्पिक साधन प्रदान करता है, जिनके पास पाठ्यपुस्तकों या ऑनलाइन पाठ्यक्रमों जैसे पारंपरिक शैक्षिक संसाधनों तक पहुंच नहीं है। इंटेलीजेंट असिस्टेंट के साथ बातचीत कर, छात्र व्यक्तिगत निर्देश प्राप्त कर सकते है और प्रासंगिक शिक्षण सामग्री तक पहुंच सकते हैं। वे अपनी प्रगति पर तुरंत प्रतिक्रिया प्राप्त कर सकते है। उन विषयों की पहचान कर सकते है, जिनमें उन्हें सुधार करने की जरूरत है और साथ ही, ठीक से पढ़ाई करने के लिए जरूरी अतिरिक्त संसाधनों का लाभ उठा सकते हैं। टेक्नोलॉजी छात्रों के पढ़ाई के व्यक्तिगत तरीके के अनुकूल भी बन सकती है, जिससे पढाई अधिक प्रभावी और आकर्षक बन जाती है।
लर्निंग डिसेबिलिटी जैसी परेशानी हो रही दूर
वॉयस कमांड के साथ स्मार्ट स्पीकर और एआई सेवाओं का उपयोग करने की आसानी के कारण हमारा टेक्नोलॉजी के साथ संवाद करने का तरीके बदल गया है, जिससे यह सभी उम्र और क्षमताओं के लोगों के लिए अधिक सुविधाजनक, सुलभ और उपयोगकर्ता के अनुकूल हो गया है। वॉयस टेक्नोलॉजी से उन छात्रों को भी सहायता मिल सकती है जिन्हें लर्निंग डिसेबिलिटी से जुड़ी किसी किस्म की परेशानी है। इससे वे आराम से पढ़ाई कर सकते हैं, जितनी बार जरूरी लगे उतनी बार पठन सामग्री को दोहरा सकते है और अपनी समझ को बढ़ाने के लिए कई सवाल पूछ सकते हैं। जो दृष्टिबाधित हैं या जिन्हें चलने-फिरने में समस्या है, उनके लिए वॉयस कमांड का उपयोग करना टेक्नोलॉजी से जुड़ने का आसान और सटीक तरीका हो सकता है, जिससे वे अपेक्षाकृत अधिक स्वतंत्र हो सकते हैं। वॉयस असिस्टेंट का उपयोग शैक्षिक सामग्री सुनाने या सवालों के जवाब देने के लिए किया जा सकता है, जिससे विकलांग छात्रों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई में भाग लेना आसान हो जाता है। दृष्टिबाधित छात्र पाठ्यपुस्तक और अन्य शिक्षण सामग्री के लिए वॉयस असिस्टेंट का उपयोग कर सकते है, जबकि बधिर छात्र शैक्षिक वीडियो के साथ संवाद के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं।
एलेक्सा के निदेशक एवं कंट्री मैनेजर दिलीप आर.एस का कहना है कि देश के ग्रामीण इलाकों में छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए वॉयस टेक्नोलॉजी परिवर्तनकारी कदम है। टेक्नोलॉजी तक समान पहुंच प्रदान कर और छात्रों को अपनी जरूरत के अनुसार सामग्री ढूंढने की स्वतंत्रता प्रदान कर व्यावहारिक और रचनात्मक उपयोग में मदद करने के लिए तैयार करना है। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की एक 13 वर्षीय लड़की ने एलेक्सा को कुत्ते की आवाज़ की नकल करने को कहकर बंदर के हमले को बचाव किया। इस टेक्नोलॉजी के उत्तरोत्तर विकास के मद्देनजर, हम शिक्षा क्षेत्र में और भी अधिक नए एप्लीकेशन की उम्मीद कर सकते हैं, जिनसे ग्रामीण शिक्षा के भविष्य में और भी बदलाव आएंगे। इन क्षेत्रों में वॉयस टेक्नोलॉजी में अपार संभावनाएं है।