Mitesh Khapra ने काफी पहले ही यह समझ लिया था कि भारतीय भाषाओं में टेक्निकल विकास इसलिए पिछड़ रहा है क्योंकि इन भाषाओं के लिए पर्याप्त डाटा मौजूद नहीं है।
Who Is Mitesh Khapra: भारतीय लोगों और उनके दिमाग की तूती पूरी दुनिया में बजती है। समय-समय पर ये बात प्रूफ भी होती रही है। ऐसी ही एक खबर फिर से सामने आ रही है। हाल ही में Time Magazine ने साल 2025 की "TIME100 AI" लिस्ट जारी की है। जिसमें दुनिया के 100 प्रमुख टेक सीईओ, फाउंडर्स और इनोवेटर्स को शामिल किया गया है। इस प्रतिष्ठित लिस्ट मेंTesla CEO Elon Musk, OpenAI CEO Sam Altman, Meta CEO Mark Zuckerberg जैसे दिग्गजों के साथ-साथ एक भारतीय प्रोफेसर मितेश खापरा(Mitesh Khapra) का नाम भी सामने आया, जिन्होंने Artificial Intelligence (AI) को भारतीय भाषाओं में आम लोगों तक पहुंचाने के लिए अहम भूमिका निभाई है। मितेश खापरा, IIT Madras में कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। अपने करियर की शुरुआत उन्होंने इंफोसिस और एलजी जैसी कंपनियों में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में की थी। इसके बाद उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट इंडिया और IBM में रिसर्च पोजिशन में काम किया और फिर 2016 में IIT मद्रास से जुड़ गए।
मितेश खापरा ने One Fourth Labs नामक एक कंपनी की भी शुरुआत की। जिसका उद्देश्य भारत में एआई की उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा को किफायती दरों पर उपलब्ध कराना है ताकि समाज और उद्योग के लिए AI को मजबूत बनाया जा सकें। उनकी विशेषज्ञता deep learning, natural language processing (NLP), conversational systems में है।
Time के अनुसार, खापरा ने काफी पहले ही यह समझ लिया था कि भारतीय भाषाओं में टेक्निकल विकास इसलिए पिछड़ रहा है क्योंकि इन भाषाओं के लिए पर्याप्त डाटा मौजूद नहीं है। जहां पश्चिमी देशों के एआई मॉडल हिंदी और बांग्ला जैसी भाषाओं में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, वहीं कम प्रचलित भारतीय भाषाओं में वे कमजोर पड़ जाते हैं। इसी समस्या को हल करने के लिए उनके नेतृत्व में AI4Bharat नामक एक रिसर्च लैब ने भारत के लगभग 500 जिलों में जाकर अलग-अलग पृष्ठभूमियों वाले लोगों की आवाजें रिकॉर्ड कीं, ताकि देश की 22 आधिकारिक भाषाओं का बढ़िया डेटासेट तैयार किया जा सके।
2019 में स्थापित AI4Bharat अब भारत सरकार के "भाषिणी कार्यक्रम" का आधिकारिक पार्टनर है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य नागरिकों को उनकी अपनी भाषा में डिजिटल सेवाएं देना है। AI4Bharat इस प्रोजेक्ट के लिए 80% डाटा उपलब्ध कराता है और यह डाटा ओपन-सोर्स है, यानी अन्य डेवलपर्स भी इसका उपयोग अपने एआई मॉडल को ट्रेन करने में कर सकते हैं। मितेश खापरा कहते हैं, “अगर कोई बड़ी टेक कंपनी इस डाटा का इस्तेमाल कर अपने मॉडल को हिंदी या मराठी में बेहतर बनाती है, तो इसका फायदा पूरे देश को होगा।” AI4Bharat की बात करें तो इस AI मॉडल्स को सुप्रीम कोर्ट में डाक्यूमेंट्स के अनुवाद के लिए उपयोग किया जा रहा है, और किसानों के लिए एक वॉयस बॉट भी बनाया गया है, जिससे वे सरकारी सब्सिडी से जुड़ी समस्याएं रिपोर्ट कर सकते हैं।