CG News: बारूका की घटना: गांव ने तेंदुआ पकड़कर वन अमले को सौंपा। जंगल सफारी पहुंचते ही तेंदुए की जान गई। वहीं तेंदुए के हमले से एक घायल गरियाबंद में भर्ती है तो दूसरे को रायपुर रेफर किया गया है।
CG News: शहर से 12 किमी दूर बारूका में मादा तेंदुए ने सोमवार को एक ही दिन में दो लोगों को अपना शिकार बनाया। सुबह खेत में पैरा लेने गए युवक को घायल किया। इसके ठीक चार घंटे बाद गांव में ही एक घर के आंगन में खेल रही ढाई साल की बच्ची पर हमला बोल दिया। मां और आसपास मौजूद लोगों ने किसी तरह तेंदुए को पकड़कर वन अमले को खबर दी।
मौके पर पहुंचे अफसर-कर्मी उसे पिंजरे में डाल कर जंगल सफारी की ओर निकल पड़े। हालांकि, तेंदुए ने वहां पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। उसके दांत टूटे थे। पैरों पर भी पुराने घाव हैं। ऐसे में माना जा रहा था कि आसान शिकार की तलाश में उसने गांव में सिलसिलेवार तरीके से 2 हमले किए। बहरहाल, उसकी मौत की वजह भूख मानी जा रही है। असली कारण पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा।
मिली जानकारी के मुताबिक, बारूका में रहने वाले 38 साल के मनहरण यादव चारा इकट्ठा करने सुबह 10.30 बजे खेत गए थे। यहां पहले ही छिपकर बैठे तेंदुए ने अचानक उन पर हमला बोल दिया। सिर-चेहरे और हाथों पर पंजे मारकर उन्हें बुरी तरह जमी कर दिया।
किसी तरह जान छुड़ाकर मनहरण गांव की ओर भागे। (Chhattisgarh News) यहां से उन्हें इलाज के लिए फौरन गरियाबंद जिला चिकित्सालय ले जाया गया। कुछ ही मिनटों में यह बात पूरे गांव में फैल चुकी थी। किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि भूखी मादा तेंदुआ गांव के भीतर तक आ धमकेगी।
पहली घटना के करीब 4 घंटे बाद दोपहर में उसने एक घर के आंगन में खेल रही बच्ची रश्मि पर हमला कर दिया। उसका चेहरा और गला नोच डाला। दर्द से कराहती बच्ची जोर-जोर से रोने लगी। उसकी आवाज सुन मां आंगन की ओर दौड़ी। लहूलुहान बच्ची को नीचे गिरा देख अपनी जान की परवाह किए बिना मां चीख-पुकार मचाते हुए तेंदुए की ओर लपकी।
शोर-शराबे और हमले के डर से मादा तेंदुआ ने बच्ची को तो छोड़ दिया, लेकिन आंगन नहीं छोड़ा। बच्ची को घूरते हुए वह चारों ओर घूम रही थी। तब मां ने मदद के लिए आसपास के लोगों को पुकारा। (Chhattisgarh News) आवाज सुनकर बहुत से लोग इकट्ठा हो गए। करीब के मैदान से वॉलीबॉल का नेट लाया गया। फिर सबने इसी जाल में तेंदुए को फंसा लिया। वन अमले को सूचना दी।
डीएफओ लक्ष्मण सिंह, एसडीओ मनोज चंद्रकार और रेंजर अपने साथ वन अमले के अलावा पुलिस को भी लेकर पहुंचे। उनके आते तक लोगों ने तेंदुए को जाल में ही में फांसे रखा था। जबकि, घायल बच्ची को इलाज के लिए गरियाबंद ले जाया गया।
गंभीर स्थिति देखते हुए उसे बेहतर इलाज के लिए रायपुर रेफर कर दिया गया। जबकि, वन अमला तेंदुए को लेकर जंगल सफारी की ओर बढ़ा। (Chhattisgarh News) बताते हैं कि तेंदुए के शरीर में ज्यादा मूवमेंट नहीं थी। माना गया कि लंबे संघर्ष से वह थक गई होगी।
हालांकि, नवा रायपुर पहुंचने से पहले ही उसने रास्ते में दम तोड़ दिया। उसके टूटे हुए दांतों और जमी पैरों को देखते हुए माना जा रहा है कि उसे शिकार करने में लंबे वक्त से परेशानी आ रही होगी। भूख से थक-हारकर आसान शिकार करने के लिए ही सोमवार को वह गांव पहुंची होगी।