बृजभूषण शरण सिंह ने 2029 चुनाव लड़ने के ऐलान किया है। जिससे यूपी की राजनीति में हलचल मच गई है। छह बार के सांसद का दावा है कि जनता ने नहीं, पार्टी ने रिटायर किया था। अब उनके फिर से मैदान में उतरने से चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।
कैसरगंज के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने 2029 लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि जनता आज भी उन्हें सांसद के रूप में देखना चाहती है। वही उनका असली फैसला है।
यूपी के कैसरगंज के पूर्व सांसद और उत्तर प्रदेश की सक्रिय राजनीति का चर्चित चेहरा बृजभूषण शरण सिंह एक बार फिर सुर्खियों में हैं। छह बार सांसद रह चुके बृजभूषण ने 2029 लोकसभा चुनाव में उतरने की घोषणा कर राजनीतिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है। उनका कहना है कि पार्टी ने भले ही पिछले चुनाव में उन्हें किनारे कर उनके बेटे को टिकट दिया हो, लेकिन जनता ने उन्हें आज तक रिटायर नहीं किया। उन्होंने कहा कि देवीपाटन मंडल की जनता उन्हें ही अपना प्रतिनिधि मानती है। यही जनसमर्थन उन्हें दोबारा चुनावी मैदान में उतरने की प्रेरणा दे रहा है।
बृजभूषण शरण सिंह ने साफ कहा कि 2024 में उन्हें “परिस्थिति जन्य रिटायरमेंट” दिया गया था, लेकिन यह जनता का फैसला नहीं था। उनका दावा है कि क्षेत्र में लगातार आज भी लोग उन्हें सांसद के रूप में देखना चाहते हैं और यही वजह है कि उन्होंने 2029 के चुनाव लड़ने का निर्णय ले लिया है। उनके इस बयान ने प्रदेश की राजनीति में नई उथल-पुथल पैदा कर दी है, खासकर भाजपा खेमे में जहां आगामी रणनीति को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं।
बृजभूषण का राजनीतिक सफर भी बेहद प्रभावशाली रहा है। वह गोंडा, बलरामपुर और कैसरगंज लोकसभा सीटों का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। परिवार भी राजनीति में मजबूत उपस्थिति रखता है। एक बेटे करन भूषण सिंह वर्तमान में सांसद हैं। जबकि दूसरे बेटे प्रतीक भूषण सिंह विधायक हैं। उनकी पत्नी केतकी सिंह भी सांसद रह चुकी हैं। ऐसे में उनका फिर से चुनाव लड़ना न सिर्फ स्थानीय राजनीति को प्रभावित करेगा। बल्कि भाजपा के भीतर समीकरणों पर भी असर डाल सकता है। 2029 का चुनाव अभी दूर है। लेकिन बृजभूषण के इस ऐलान ने माहौल को अभी से गर्म कर दिया है। उनका दावा है कि जनता का भरोसा ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है। वे उसी समर्थन के साथ मैदान में उतरेंगे।