शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर गोरखपुर विश्वविद्यालय में एक भव्य शिक्षक सम्मान कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसकी अध्यक्षता कुलपति प्रो.पूनम टंडन ने किया।
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर एक भव्य शिक्षक सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हुए सात शिक्षकों को सम्मानित किया गया तथा उनके अमूल्य योगदान को स्मरण किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षक समाज और संस्कृति के निर्माण में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं। एक शिक्षक कभी सेवानिवृत्त नहीं होता, वह आजीवन समाज और नई पीढ़ी को अपने ज्ञान से आलोकित करता है। शिक्षक की सेवा केवल एक नौकरी नहीं, बल्कि एक जीवनभर निभाया जाने वाला दायित्व है। कुलपति ने सेवानिवृत्त शिक्षकों के योगदान की सराहना करते हुए सभी को प्रेरणा स्रोत बताया।
कार्यक्रम में प्रतिकुलपति प्रो. शांतनु रस्तोगी ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षक दिवस केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह हमें अपने कर्तव्यों का बोध कराता है। उन्होंने सेवानिवृत्त शिक्षकों के योगदान को याद करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय की वर्तमान गरिमा में उनका अमूल्य योगदान है।
इस अवसर पर इंडियन बैंक (गोरखपुर परिक्षेत्र) के जोनल मैनेजर आयुष कुमार धानी ने अपना सम्बोधन दिया और शिक्षक की व्यक्तित्व निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि शिक्षक सम्मान सम्मान की परंपरा निरंतर बनी रहनी चाहिए।
कार्यक्रम में आभार ज्ञापन करते हुए अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. अनुभूति दुबे ने कहा कि विश्वविद्यालय अपने वरिष्ठ शिक्षकों के योगदान को कभी नहीं भूल सकता और यह आयोजन उनका सम्मान प्रकट करने का एक प्रयास है। नए शिक्षकों को हमेशा अपने वरिष्ठों से प्रेरणा लेनी चाहिए।कार्यक्रम का संचालन समाजशास्त्र विभाग के सहायक आचार्य डॉ. मनीष पांडेय ने किया।
इस अवसर पर इंडियन बैंक गोरखपुर विश्वविद्यालय ब्रांच के मैनेजर अजय प्रकाश, कुलसचिव धीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव सहित अनेक विभागों के अध्यक्ष, अधिष्ठातागण, शिक्षक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
विश्वविद्यालय की एक गौरवशाली परंपरा को जीवंत बनाए रखते हुए गत वर्ष सेवानिवृत्ति हुए शिक्षकों को सम्मानित किया गया। गणित एवं सांख्यिकी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विजय कुमार, बॉटनी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. वी. एन. पांडेय, दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. द्वारिका नाथ, शिक्षाशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता प्रो. राजेश सिंह, वाणिज्य विभाग के आचार्य प्रो. संजय बैजल, उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. रजिउररहमान, रक्षा अध्ययन विभाग के प्रो. एस एन एम त्रिपाठी को अंगवस्त्र एवं स्मृतिचिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के अंत में अधिष्ठाता छात्र कल्याण
प्रो. अनुभूति दुबे द्वारा कुलपति प्रो. पूनम टंडन को उनके दो वर्षों के सफल कार्यकाल के लिए विशेष रूप से तैयार की गई "विशिष्ट माला" पहनाकर सम्मानित किया गया। प्रो. दुबे ने कहा कि कुलपति प्रो. टंडन पूनम टंडन जी का दो वर्षीय कार्यकाल उपलब्धियों से परिपूर्ण रहा है। इस अवधि में विश्वविद्यालय में सकारात्मक और समरस अकादमिक वातावरण विकसित हुआ है।
विभिन्न संस्थाओं की रैंकिंग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और संवाद की एक मजबूत परंपरा स्थापित हुई है, जिससे विश्वविद्यालय निरंतर नई ऊँचाइयों की ओर अग्रसर है।उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस संवादात्मक और सहयोगी वातावरण का प्रभाव विश्वविद्यालय के प्रत्येक स्तर पर दिखाई दे रहा है—चाहे वह शिक्षक हों, विद्यार्थी हों या कर्मचारी। सभी की मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हुआ है, और अब लोग पहले से अधिक समर्पण और उत्साह के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं।