मध्यप्रदेश प्राकृतिक आपदाओं की मार सबसे अधिक झेलने वाला राज्य बन गया है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की नई रिपोर्ट 'क्लाइमेट इंडिया-2025 ने चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए हैं।
नरेंद्र कुइया
ग्वालियर. मध्यप्रदेश प्राकृतिक आपदाओं की मार सबसे अधिक झेलने वाला राज्य बन गया है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की नई रिपोर्ट 'क्लाइमेट इंडिया-2025 ने चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए हैं। देश में प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली कुल मौतों में से सबसे ज्यादा 532 जानें सिर्फ मध्यप्रदेश में गईं। 36 राज्यों के इस आंकड़े ने प्रदेश को देश के सबसे संवेदनशील राज्य की श्रेणी में ला खड़ा किया है। दूसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश है, जहां 484 मौतें दर्ज हुईं, जबकि झारखंड 478 मौतों के साथ तीसरे स्थान पर रहा। वहीं पुडुचेरी, लक्ष्यदीप, लद्दाख और दमन-दीव ऐसे राज्य रहे, जहां एक भी मौत प्राकृतिक आपदा से नहीं हुई। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश भर में प्राकृतिक आपदाओं के कारण 4,064 लोगों की मौत हुई और 94.7 लाख हेक्टेयर फसल क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
बिजली का कहर, 183 लोगों की मौत: मानसून और प्री-मानसून के दौरान आसमानी बिजली ने मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा तबाही मचाई। इससे प्रदेश में 183 की मौत हुई। 91 दिन बिजली गिरने की घटना हुई। वहीं आंध्रप्रदेश में बिजली गिरने से 192, झारखंड में 222, उत्तरप्रदेश में 284, बिहार में 146 और छत्तीसगढ़ में 51 लोगों की मौत हुई। इस वर्ष मध्यप्रदेश में हीट वेव की अवधि 13 दिन रही।
बारिश ने बरपाया कहर: 348 की जानें गई
इस वर्ष प्रदेश में सामान्य से कहीं अधिक बारिश दर्ज हुई जिसने जन-जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। वहीं इस भारी बारिश से 348 लोगों की मौत हो गई। इस साल मानसून में 88 दिन सामान्य से अधिक बारिश हुई। वहीं आसपास के राज्यों में यहां से ज्यादा दिन सामान्य से अधिक बारिश हुई। इसके बावजूद मरने वालों की संख्या काफी कम रही। बिहार में 39 दिन सामान्य से अधिक बारिश रही, लेकिन एक भी मौत नहीं हुई। वहीं, उत्तरप्रदेश में 62 दिन सामान्य से अधिक बारिश हुई यहां 17 लोगों की मौत हुई। ओडिशा में 76 दिन सामान्य से अधिक बारिश हुई, वहीं चार लोगों की मौत हुई। छत्तीसगढ़ में 46 दिन सामान्य से अधिक बारिश हुई। इसके बावजूद सिर्फ 45 लोगों की मृत्यु हुई।
प्रकृति से छेड़छाड़ से बढ़ी आपदाएं…
प्राकृतिक आपदाओं का तेजी से बढ़ना हमारे द्वारा प्रकृति से की गई छेड़छाड़ का नतीजा है। हम लगातार पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं, भूजल स्तर गिरा रहे हैं और नदियों को भी दूषित कर रहे हैं। यह सब इस बात का संकेत है कि हम अपने प्राकृतिक संसाधनों के साथ न्याय नहीं कर रहे हैं। प्रकृति और विकास के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है, ताकि विकास की गति और प्राकृतिक आपदाओं के बीच एक बैलेंस बन सके। हमें इन समस्याओं को पहचान कर ठोस कदम उठाने की जरूरत है। सरकार के साथ हमें भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और संरक्षण में काम करना होगा।
सुयश कुमार, पर्यावरण विशेषज्ञ
देश में 4 साल में मौत और फसलों पर असर
वर्ष मौत फसल पर असर
2022 2755 1.84
2023 2923 1.84
2024 3238 03.2
2025 4064 9.47
आपदा से मौत में टॉप 10 राज्य
मध्यप्रदेश-532
आंध्रप्रदेश-484
झारखंड-478
हिमाचल प्रदेश-380
उत्तरप्रदेश-312
महाराष्ट्र-283
जम्मू-कश्मीर-244
उत्तराखंड-169
बिहार-146
गुजरात-128