MP Weather: मौसम विभाग ने इस सिस्टम को देखते हुए ग्वालियर, श्योपुर, मुरैना में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। जबकि शिवपुरी, अशोकनगर में भारी से भारी बारिश का रेड अलर्ट है।
MP Weather: तीन दिन से जारी बारिश का सिलसिला शनिवार को थम गया। धूप निकलने पर अधिकतम तापमान 30.4 डिग्री सेल्सियस से बढ़कर 33 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। इस कारण उमस भरी गर्मी रही। वहीं बिहार के पास बना कम दबाव का क्षेत्र उत्तर पश्चिम की ओर बढ़ रहा है, इसके 23 जून को ग्वालियर चंबल संभाग में पहुंचने की संभावना है, लेकिन कमजोर पड़कर चक्रवातीय घेरे के रूप में आएगा। मौसम विभाग ने इस सिस्टम को देखते हुए ग्वालियर, श्योपुर, मुरैना में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। जबकि शिवपुरी, अशोकनगर में भारी से भारी बारिश का रेड अलर्ट है।
17 जून को ग्वालियर में मानसून(Monsoon 2025) आने के बाद अब तक औसत बारिश 132.5 मिलीमीटर दर्ज हो चुकी है। जबकि ग्वालियर में जून की औसत बारिश 85 मिलीमीटर है। औसत से अधिक बारिश हो चुकी है, जबकि अभी जून के शेष 8 दिनों में गरज-चमक के साथ भारी व मध्यम बारिश की संभावना है। इससे बारिश नया रिकॉर्ड बना सकती है। जुलाई के पहले सप्ताह में भी बारिश(Rain Alert) का दौर चलेगा।
● बिहार में बना कम दबाव का क्षेत्र उत्तर पश्चिम की ओर से बढ़ रहा है, इसका झुकाव दक्षिण की ओर है। ग्वालियर के पास से होते हुए गुजरेगा, लेकिन शिवपुरी दक्षिण में है, इसलिए शिवपुरी में भारी से भारी बारिश की संभावना है।
● उत्तर राजस्थान के पास चक्रवातीय घेरा बना हुआ है। इसे अरब सागर व बंगाल की खाड़ी से नमी मिल रही है, जिसकी वजह से श्योपुर, शिवपुरी, मुरैना में अच्छी बारिश की संभावना है।
● ग्वालियर-चंबल संभाग(MP Weather) से होते हुए ट्रफ लाइन गुजर रही है। इसकी वजह से बंगाल की खाड़ी से भी नमी आ रही है। इन कारणों से अभी बारिश का दौर चलेगा।
● ग्वालियर जिले में मड़ीखेड़ा व हरसी बांध से सिंचाई होती है। जबकि पेयजल के लिए अपर ककैटो, ककैटो, पेहसारी से तिघरा में पानी आता है। मड़ीखेड़ा बांध अशोकनगर व शिवपुरी में होने वाली बारिश से भरता है। जबकि अपर ककैटो, ककैटो, हरसी बांध शिवपुरी में होनी वाली बारिश से भरते हैं। यदि अशोकनगर व शिवपुरी में भारी से भारी बारिश होती है, तो सिंचाई व पेयजल के लिए बांध भर जाएंगे। किसानों को धान के लिए पर्याप्त पानी मिल जाएगा।
● वर्तमान में सभी बांध खाली पड़े हैं। बारिश के पानी से भरने के बाद ही किसानों को पानी मिल सकेगा। किसान भी बांध भरने के इंतजार में है।