उप पंजीयकों ने आंख बंद करके दस्तावेज किया संपादित, रजिस्ट्री के साथ पेश किए फोटो में दिखाया खेत कलेक्टर के पास की शिकायत, करोड़ों की सरकारी जमीन खुदबुर्द करने का है आरोप शहर की बेस कीमती सरकारी जमीन को माफिया 50 व 100 रुपए के स्टांप पर नोटरी कर बेच रहा था, लेकिन अब रजिस्ट्री […]
शहर की बेस कीमती सरकारी जमीन को माफिया 50 व 100 रुपए के स्टांप पर नोटरी कर बेच रहा था, लेकिन अब रजिस्ट्री कराने लगे हैं। सिरोल की एक सरकारी जमीन के बेचने का मामला सामने आया है। रजिस्ट्री में जमीन का न सर्वे नंबर खोला है और न संपत्ति की पहचान। न संपत्ति का विवरण दिया है। चर्तुर सीमाएं खोली गई है, उससे भी संपत्ति की पहचान भी नहीं हो रही है। उप पंजीयकों ने आंख बंद करके रजिस्ट्री कर दी। इस पूरे मामले की शिकायत हिमांशू पवैया ने कलेक्टर कलेक्टर से की गई है। करोड़ों की सरकारी जमीन को खुद बुर्द करने का आरोप लगाया है। रजिस्ट्री को देखकर पंजीयन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी हैरान है। जिन उप पंजीयकों ने रजिस्ट्री की हैं, वह सेवा निवृत्त हो चुके हैं।
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दरअसल संपत्ति की रजिस्ट्री के वक्त उसकी पहचान खोलना जरूरी है। यदि पहचान नहीं बताई है तो वह रजिस्ट्री नहीं हो सकती है। क्योंकि खोलने के पीछे का कारण है कि संपत्ति कहां पर है। उसकी वैधता भी तय होती है। इस तरह की रजिस्ट्री जारी रही तो किसी भी सरकारी इमारत की भी रजिस्ट्री हो सकती है।
रजिस्ट्री-1: एमपी 142592018ए1124410 का दस्तावेज का पंजीयन उप पंजीयक हरिओम शर्मा ने 24 फरवरी 2018 को किया। जमीन का विक्रय अरुण शर्मा ने 27 लाख 61 हजार रुपए में कोक सिंह गुर्जर व रामसहाय गुर्जर को बेचा। सर्विस प्रोवाइडर आराधना गुप्ता ने इस दस्तावेज का लेखन किया। हरिओम शर्मा सेवा निवृत्त हो चुके हैं।
रजिस्ट्री-2: एमपी142592018ए1355578 का दस्तावेज उप पंजीयक कृष्ण अरोरा ने संपादित किया। दस्तावेज का लेखन भी सर्विस प्रोवाइडर आराधना गुप्ता ने किया। संपत्ति का दस्तावेज 25 मर्ई 2018 को संपादित किया गया। कोक सिंह गुर्जर ने लता साहू को 4 लाख 60 हजार 20 रुपए में बेच दी। संपत्ति का पूरा विवरण छिपा लिया।
- रजिस्ट्री में लिख दिया गया कि भूखंड सिरोल में है और नगर निगम की एनओसी हैं। पंजीयन विभाग में जब दस्तावेजों की पड़ताल की तो कोई दस्तावेज नहीं निकाला।
- रजिस्ट्री में सिर्फ वार्ड नंबर व सिरोल का उल्लेख किया गया है।
- रजिस्ट्री में जो फोटो लगाए गए हैं, उसमें खेत दिखाया गया है। खेत से भी पहचान नहीं हो पा रही है, यह कहां का है।
- पंजीयन विभाग में सर्विस प्रोवाइडर पर फर्जीवाड़े की पहली कड़ी बन गए हैं। स्टांप ड्यूटी चोरी में मकान को प्लट बता रहे हैं और प्लॉट को खेत में। व्यवसायिक भी छुपा जाते हैं। ड्यूटी चोरी के लिए सडक़ का भी उल्लेख नहीं करते हैं।
- शहर में काफी संपत्तियों की रजिस्ट्री में दो मंजिल मकान को एक मंजिल करके भी पंजीयन कराया है। शिकायत आने पर वसूले के प्रकरण भी दर्ज हुए हैं।
- उप पंजीयक के सामने रजिस्ट्री आने के बाद उसके दस्तावेज भी चैक नहीं करते हैं। रजिस्ट्री में क्या उल्लेख किया है और इसमें क्या कमियां हैं। रजिस्ट्री कर रहे हैं।
- माफिया, सर्विस प्रोवाइडर व उप पंजीयक कार्यालय संगठित होकर पूरा रैकेट चला रहे हैं। स्टांप ड्यूटी चोरी व सरकारी जमीन के बंदरबाट में मिलने वाले पैसे का हिस्सा भी फिक्स है।
- सर्विस प्रोवाइडरों के फर्जीवाड़े खुलने के बाद किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं होती है, जिससे इनके फर्जीवाड़े पर लगाम नहीं लग रही है।
- रजिस्ट्री के वक्त संपत्ति की पहचान जरूरी है। कौनसी कॉलोनी में है सर्वे नंबर कहा हैं। इस तरह की रजिस्ट्री शून्य है। क्रेता व विक्रेता के साथ-साथ रजिस्ट्री करने वाले भी जिम्मेदार हैं।
अशोक शर्मा, जिला पंजीयक
- सिरोल की सरकारी जमीन बेची गई है। रजिस्ट्री के वक्त पूरी जानकारी छिपा ली, जिससे पता नहीं चल सके। रजिस्ट्री में सर्वे नंबर होना जरूरी है। सिरोल की करोड़ों की सरकारी जमीन बेची है, उसमें एफआइआर के लिए कोर्ट में परिवाद दायर करने जा रहा हूं।
अवधेश तोमर अधिवक्ता