ग्वालियर

Registration Department पावर ऑफ अटॉर्नी निरस्त होने के बाद उसी के जरिए की रजिस्ट्री, व्यवसायिक संपत्ति को आवासीय में दर्ज कर स्टांप ड्यूटी की चोरी

पंजीयन विभाग में एक बाद एक फर्जीवाड़े सामने आ रहे हैं। न भूमि का पिछला रिकॉर्ड देख रहे और न दस्तावेज। सिर्फ उप पंजीयक धड़ल्ले से रजिस्ट्री कर रहे हैं। ऐसे ही दो अलग अलग

2 min read
Aug 20, 2024
Registration Department

Registration Department पंजीयन विभाग में एक बाद एक फर्जीवाड़े सामने आ रहे हैं। न भूमि का पिछला रिकॉर्ड देख रहे और न दस्तावेज। सिर्फ उप पंजीयक धड़ल्ले से रजिस्ट्री कर रहे हैं। ऐसे ही दो अलग अलग मामले सामने आए हैं। पटेल नगर रोड पर स्थित 6 हजार 331 वर्गफुट (सिल्वर ओख होटल के पास) के व्यवसायिक प्लॉट की पावर ऑफ अटॉर्नी दो दिन पहले निरस्त हो गई। उसके दो दिन रजिस्ट्री की गई। व्यवसायिक प्लॉट रोड से हटकर अंदर हो गया।

आवासीय भूमि की स्टांप ड्यूटी लगाई। रजिस्ट्री में हुए फर्जीवाड़े को भी उप पंजीयक ने नहीं देखा और लाखों रुपए की स्टांप ड्यूटी की चोरी कर शासन को चपत लगा दी। इस फर्जीवाड़े का मामला थाने भी पहुंचा है। पुलिस अधीक्षक के यहां भी शिकायत की है। विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में भी पूरा फर्जीवाड़ा आ गया है, लेकिन न उप पंजीयक पर कार्रवाई हुई और न दस्तावेज लेखक पर।

ऐसे चला क्रय-विक्रय का सिलसिला

  • ई पंजीयन संख्या एमपी142592021 ए4210883 के तहत जय व अजय यादव ने 1 मार्च 2021 को सुभाष चतुर्वेदी के नाम मुख्तियार नामा (पावर ऑफ अटॉर्नी) संपादित की। दोनों सुभाष चतुर्वेदी से 1.50 करोड़ रुपए लिए।
  • ई पंजीयन संख्या एमपी 142592024 ए4231970 में 23 फरवरी 2024 को सुभाष चतुर्वेदी ने उप पंजीयक मानवेंद्र भदौरिया के यहां अपना मुख्तियार नामा निरस्त कर दिया। मुख्तियार नामा उप पंजीयक मानवेंद्र भदौरिया ने निरस्त किया।
  • ई पंजीयन संख्या 142592024ए1256494 में 28 फरवरी 2024 को सुभाष चतुर्वेदी ने प्लॉट को सुनीता शर्मा पत्नी हरीश शर्मा को बेच दिया। रजिस्ट्री के वक्त पूरे तथ्य छिपा लिए। तत्कालीन उप पंजीयक कैलाश वर्मा ने रजिस्ट्री संपादित की जबकि पावर का नंबर सर्वर में डाला जाता तो स्थिति साफ दिख जाती है, लेकिन निरस्त पावर पर रजिस्ट्री कर दी।

1992 में मृत व्यक्ति की पावर ऑफ अटॉर्नी संपादित की

  • पंजीयन विभाग ने 1992 में मृत व्यक्ति की भी पावर ऑफ अटॉर्नी संपादित कर दी। उसकी जमीन भी बिक गई। दरअसल 7 सितंबर 1991 में रामेश्वर पाठक का निधन हो गया था।
  • पाठक की बिल्हेटी गांब में जमीन थी, जिसकी 2022 में पावर ऑफ अटॉर्नी तैयार की गई। राहुल पाठक ने जमीन को बृजभान ङ्क्षसह को बेच दी। जब नामांतरण पर फाइल पहुंची तब पूरा फर्जीवाड़ा खुला।
  • जब मामला हाईकोर्ट आया तो कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि तहसीलदार व उप पंजीयक अचेत होकर काम कर रहे हैं।
  • प्राथमिकी दर्ज कर उप पंजीयक व तहसीलदार की भूमिका की भी जांच की जाए। पावर ऑफ अटॉर्नी उप पंजीयक मानवेंद्र भदौरिया की आइडी से संपादित हुई थी।

इनका कहना है

रजिस्ट्री के वक्त पॉवर ऑफ अटॉर्नी सर्वर में नहीं दिखती है। भूमि वृत्त-2 में आती है। पुराना मामला है। वर्तमान में वृत्त-1 में हूं। इसलिए याद नहीं है, लेकिन रजिस्ट्री देखने के बाद ही सही फैक्ट बता सकता हूं।
कैलाश वर्मा, उप पंजीयक

पावर ऑफ अटॉर्नी में प्लॉट व्यवसायिक दर्ज है। रजिस्ट्री में उसे आवासीय बताया गया है। व्यवसायिक रेट से रजिस्ट्री होनी चाहिए थी। प्लॉट का निरीक्षण कर ड्यूटी की गणना करेंगे।
अशोक शर्मा, जिला पंजीयक

Published on:
20 Aug 2024 06:02 pm
Also Read
View All

अगली खबर