The High Court said that there is no solid basis for threat and a pistol license cannot be granted on the basis of apprehension.
जस्टिस अमित सेठ की बैंच ने पिस्तौल/रिवॉल्वर लाइसेंस की मांग को अस्वीकार करते हुए कहा है कि सिर्फ आशंका के आधार पर हथियार लाइसेंस नहीं दिया जा सकता, जब तक किसी व्यक्ति या समूह से वास्तविक और सिद्ध खतरा साबित न हो।
मामला ब्रिजमोहन नरवरिया (निवासी नाका चंद्रबदनी) बनाम राज्य सरकार से संबंधित था, जिसमें वर्ष 2013 से लंबित याचिका में आवेदक ने स्वयं को ठेकेदार बताते हुए सुरक्षा कारणों से हथियार लाइसेंस की मांग की थी। जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट में यह स्पष्ट था कि आवेदक को किसी से प्रत्यक्ष खतरा नहीं है, जिस आधार पर राज्य सरकार ने लाइसेंस देने से इनकार किया था। हाई कोर्ट में दलील दी गई कि अन्य व्यक्तियों को भी ऐसे ही मामलों में लाइसेंस दिया गया है, इसलिए याचिकाकर्ता को भी अनुमति मिलनी चाहिए। इस पर न्यायालय ने स्पष्ट किया कि लाइसेंस कोई अधिकार नहीं, बल्कि विवेकाधीन अनुमति है, जिसे लोक शांति और जन सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ही दिया जा सकता है। जब तक किसी व्यक्ति को जीवन पर गंभीर खतरे की विश्वसनीय सामग्री प्रस्तुत न हो, तब तक लाइसेंस का दावा नहीं किया जा सकता।