
ग्वालियर. विदेशों में बैठे साइबर ठग अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) की मदद से दिल्ली-मुंबई के सीबीआइ, आईबी और पुलिस दफ्तरों जैसा माहौल तैयार कर मध्यप्रदेश में लोगों को ठग रहे हैं। फर्जी वीडियो कॉल, एडिटेड आवाज और डिजिटल अरेस्ट जैसे हथकंडों से ठग आम लोगों को डराकर ऑनलाइन ठगी को अंजाम दे रहे हैं। तमाम साइबर चेतावनियों और जागरूकता अभियानों के बावजूद लोग इनके जाल में फंस रहे हैं, जो पुलिस और प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
प्रदेश में इस साल साइबर ठगों ने 26 हजार 99 लोगों के बैंक खातों में सेंध लगाकर करीब 298 करोड़ रुपए की ठगी की है। पुलिस और साइबर सेल की पूरी कोशिशों के बावजूद अब तक केवल 34 करोड़ रुपए ही वापस कराए जा सके हैं। साइबर एक्सपर्ट बताते हैं कि पहले झारखंड का जामताड़ा ऑनलाइन फ्रॉड का बड़ा केंद्र माना जाता था, लेकिन अब अधिकतर ठगी के तार इंडोनेशिया, दुबई, बैंकॉक, मलेशिया और अफ्रीकी देशों से जुड़े सामने आ रहे हैं। विदेशों तक नेटवर्क फैलने से ठगी की रकम की रिकवरी और मुश्किल हो गई है।
ग्वालियर में इस साल साइबर ठगों ने 23 बड़ी वारदातों को अंजाम देकर 5 करोड़ 50 लाख रुपए की ठगी की। ऐड़ी-चोटी का जोर लगाने के बाद भी पुलिस केवल 93 लाख रुपए ही ठगों से वसूल पाई है। ठगों का तरीका लगातार हाईटेक होता जा रहा है, जिससे आम लोगों के साथ-साथ पढ़े-लिखे और जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग भी शिकार बन रहे हैं।
साइबर पुलिस के मुताबिक ठग ठगी की रकम छिपाने के लिए अब स्कूल-कॉलेज के छात्रों को घर बैठे कमाई का लालच देकर उनके बैंक खातों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस साल सामने आए मामलों में इंडोनेशिया, दुबई समेत देश के 16 राज्यों में फैले 15 हजार से ज्यादा बैंक खातों का नेटवर्क उजागर हुआ है।
साइबर अपराधी हर वारदात में 4 से 5 लेयर के बैंक खातों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे उनके ठिकाने तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। हालांकि बड़ी वारदातों में गैंग के कुछ सदस्य पकड़े भी गए हैं।
देसी जुमलों से ठगी अब आसान नहीं रही, इसलिए अपराधी एआइ और एडिटिंग टूल्स से आवाज, फोटो और वीडियो बदलकर डिजिटल अरेस्ट व ब्लैकमेलिंग कर रहे हैं। फिलहाल ठगी से बचने का सबसे कारगर तरीका जागरूकता ही है।
धर्मेन्द्र कुशवाह, एक्सपर्ट, साइबर पुलिस
Published on:
22 Dec 2025 05:56 pm
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