Indian AI Model 169pi: देश के पहले AI मॉडल को मध्य प्रदेश के ग्वालियर के दो भाई, रजत आर्य और चिराग आर्य मुंबई में तैयार रहे हैं। इसरो के साथ मिलकर कर रहे रिसर्च।
Indian AI Model 169pi: भारत अब अपना खुद का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल विकसित करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस पहल में मध्यप्रदेश के ग्वालियर के दो भाई, रजत आर्य और चिराग आर्य अहम भूमिका निभा रहे हैं। दोनों भाई मुंबई में रहकर इसरो (ISRO) के साथ मिलकर एक विशेष AI प्रोजेक्ट पर रिसर्च कर रहे हैं। यह रिसर्च '169pi' नामक भारत के पहले AI मॉडल पर केंद्रित है, जिसे इन दोनों भाइयों ने मिलकर विकसित किया है। उनकी इस उपलब्धि को लेकर फोर्ब्स ने उन्हें अंडर 30 की सूची में शामिल किया है।
रजत आर्य के अनुसार, लंबे समय से यह महसूस किया जा रहा था कि भारत का कोई अपना AI मॉडल नहीं है और विदेशी तकनीकों पर हमारी अत्यधिक निर्भरता बनी हुई है। यही प्रेरणा उन्हें और उनके भाई को मिली कि ऐसा AI मॉडल बनाया जाए जो पूरी तरह भारतीय हो और आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती दे। 169pi विशेष रूप से शिक्षा आधारित AI मॉडल है, जो NCERT की किताबों से एकत्र किए गए डेटा को छात्रों को उपलब्ध कराता है। वर्तमान में यह वेब-आधारित प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य कर रहा है, लेकिन जल्द ही इसका ऐप (App) भी लॉन्च किया जाएगा।
रजत का मानना है कि AI केवल एक लग्जरी नहीं, बल्कि जरूरत बन चुका है, जिसे हर व्यक्ति तक पहुंचाया जाना चाहिए। उनका मॉडल विदेशी AI सेवाओं की तरह महंगा नहीं होगा, बल्कि इसे बिल्कुल मुफ्त उपलब्ध कराया जा रहा है। 8वीं से 12वीं तक के छात्र इस प्लेटफॉर्म के जरिए अपनी पढ़ाई का फ्री स्टडी मटेरियल प्राप्त कर सकेंगे।
169pi को इसरो के लिए विकसित किया जा रहा है, जिससे यह भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके अलावा, बिहार सरकार के साथ भी यह स्टार्टअप काम कर रहा है। रजत और चिराग का मानना है कि सरकारी एजेंसियों के लिए बनाए गए सॉफ़्टवेयर में सुरक्षा और गोपनीयता सबसे महत्वपूर्ण होती है, और उनका AI मॉडल इन सभी मानकों पर खरा उतरता है।
169pi नाम का चयन गणितीय अवधारणाओं से प्रेरित होकर किया गया है। 13 के वर्ग (13² = 169) और π (Pi) के अनुपात से यह नाम चुना गया, जो विज्ञान और गणित में AI की गहरी जड़ों को दर्शाता है।
रजत और चिराग आर्य की यह सफलता दर्शाती है कि भारत में भी युवा नवाचार और तकनीकी विकास के क्षेत्र में बड़े कदम उठा रहे हैं। उनका उद्देश्य है कि देश विदेशी AI मॉडल्स पर निर्भर न रहे और अपनी खुद की तकनीक विकसित करे।