World Turtle Day: घरों में कुछुए यानी टर्टल रखना शुभ माना जाता है। इनसे घर में सकारात्मकता, शुभता के साथ सुख-समृद्धि का आगमन भी होता है।
World Turtle Day : गांधी प्राणी उद्यान में अलग-अलग तीन प्रजातियों के 60 कछुए हैं। इनमें से सबसे अधिक उम्र 55 वर्ष का कछुआ है, जिसका वजन 35 से 40 किलो है। ये सभी कछुए एनिमल एक्सचेंज में देशभर के चिड़ियाघर से यहां लाए गए हैं। 23 मई यानि आज वर्ल्ड टर्टल डे (World Turtle Day) 'भगवान विष्णु' का रूप है कछुआ , घरों में पालना शुभ या अशुभ ? जानिए यहां मनाया जाता है।
इन दिन टर्टल यानी कछुए का महत्व और भी बढ़ जाता है। आज के दौर में न सिर्फ जू में टर्टल मौजूद हैं बल्कि अब घरों में भी ग्वालियराइट्स छोटे-बड़े साइज के कछुए रख रहे हैं। वहीं कुछ लोग शुभता के चलते टर्टल की धातु से बनी प्रतिकृतियां भी सजा रहे हैं।
प्रतिवर्ष 23 मई को वर्ल्ड टर्टल डे मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य विश्व में कछुओं की कम होती संख्या के प्रति जागरुकता फैलाना और उनके आवासों की रक्षा करना है। यह कार्यक्रम 1990 में स्थापित एक अमेरिकी संस्था एटीआर ने 2000 में शुरू किया था और तब से इसे दुनियाभर में मनाया जाता है। विश्व में कछुओं की 300 से अधिक प्रजातियां हैं, वहीं इंडिया में कछुओं की 29 प्रजातियां पाई जाती हैं।
वास्तु शास्त्र के मुताबिक घरों में कुछुए यानी टर्टल रखना शुभ माना जाता है। इनसे घर में सकारात्मकता, शुभता के साथ सुख-समृद्धि का आगमन भी होता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, कछुआ का संबंध भगवान विष्णु से होता है। इसके चलते कई लोग धातु से बने कछुए भी घरों में रखते हैं।
हॉस्पिटल रोड निवासी सुभाष अग्रवाल ने बताया कि घर में कछुआ रखने से सुख-शांति आती है। श्रीजा ने बताया कि हमारे पास दो कछुए हैं और ये फैमिली मेंबर्स की तरह ही रहते हैं। वहीं स्वर्णिमा ने बताया कि बचपन से ही मछली, कछुए पालने का शौक रहा है और हम इन्हें अपने साथ ही रखते हैं।
गांधी प्राणी उद्यान में अलग-अलग जगहों पर टर्टल रखे गए हैं। यहां पहुंचने वाले बच्चे इन्हें देखने के लिए इंतजार भी करते हैं। गांधी प्राणी उद्यान के प्रभारी डॉ.उपेंद्र यादव ने बताया कि जू में रेडियल, सॉफ्ट शेल और इंडियन टर्टल मौजूद हैं। इनमें इंडियन 20 टर्टल, 30 सॉफ्ट शेल और 10 इंडियन टर्टल हैं। वहीं सबसे बड़ा टर्टल मंगरमच्छ के केज में रखा जाता है।